LOADING...
#NewsBytesExplainer: लद्दाख में अनशन पर क्यों बैठे हुए हैं सोनम वांगचुक और क्या हैं उनकी मांगें?
लद्दाख से जु़ड़ी कई मांगों को लेकर बीते कई दिनों से सोनम वांगचुक अनशन पर बैठे हैं

#NewsBytesExplainer: लद्दाख में अनशन पर क्यों बैठे हुए हैं सोनम वांगचुक और क्या हैं उनकी मांगें?

लेखन आबिद खान
Mar 20, 2024
12:42 pm

क्या है खबर?

लद्दाख के जाने-माने पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक बीते 15 दिनों से अनशन पर बैठे हुए हैं। उन्होंने 6 मार्च को '#SAVELADAKH, #SAVEHIMALAYAS' अभियान के साथ 21 दिनों का आमरण अनशन शुरू किया था। 18 मार्च को उनके साथ करीब 1,500 लोगों ने भी एकदिवसीय भूख हड़ताल शुरू कर दी। वांगचुक का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अनशन को आगे और बढ़ा सकते हैं। आइए जानते हैं कि वांगचुक क्यों अनशन पर बैठे हैं।

मांग

क्या है वांगचुक की मांगें?

वांगचुक केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने और यहां पर संविधान की छठवीं अनुसूची लागू करने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा वांगचुक लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें, राज्यसभा में प्रतिनिधित्व और लद्दाख के लिए एक अलग लोक सेवा आयोग की भी मांग कर रहे हैं। इन मांगों को लेकर वांगचुक ने केंद्र सरकार से चर्चा भी की थी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका।

छठवीं अनुसूची

क्या है छठवीं अनुसूची?

छठवीं अनुसूची में आदिवासी आबादी के लिए कई विशेष प्रावधान हैं। इसके तहत जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाए जा सकते हैं। राज्‍य के भीतर इन जिलों को विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वायत्तता मिलती है। राज्यपाल इन जिलों की सीमा घटा-बढ़ा सकते हैं। हर स्वायत्त जिले में एक स्वायत्त जिला परिषद (ADC) बनाई जा सकती है। इसे भूमि, जंगल, जल, कृषि, ग्राम परिषद, विरासत, विवाह और तलाक और खनन आदि से जुड़े कानून बनाने का हक होता है।

Advertisement

वजह

छठवीं अनुसूची की मांग क्यों कर रहे हैं वांगचुक?

दरअसल, 2019 में धारा 370 हटने के बाद लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर बिना विधानसभा का केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। वांगचुक का कहना है कि छठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने के बाद लद्दाख के लोग स्वायत्त जिला और क्षेत्रीय परिषदें बना सकेंगे। उन्होंने कहा, "छठवीं अनुसूची का मकसद सिर्फ बाहरी लोगों को रोकना नहीं है, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील इलाकों या संस्कृतियों-जनजातियों को स्थानीय लोगों से भी बचाने की जरूरत है।"

Advertisement

लद्दाख

क्या केंद्र शासित प्रदेश बनने से लद्दाख को नुकसान हुआ?

केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख में नौकरियों को लेकर बड़ा बदलाव हुआ है। पहले लद्दाख के लोग जम्मू -कश्मीर लोक सेवा आयोग में गैजेटेड पदों के लिए आवेदन कर सकते थे, लेकिन अब ये विकल्प छीन लिया गया है। धारा 370 हटने से पहले नॉन-गैजेटेड नौकरियों की भर्ती जम्मू कश्मीर सेवा भर्ती बोर्ड आयोजित करता था, जिसमें लद्दाख के प्रतिनिधि भी होते थे, लेकिन अब ये नियुक्तियां कर्मचारी चयन आयोग द्वारा की जा रही हैं।

परेशानियां

लद्दाख के लोगों की और क्या परेशानियां हैं?

लद्दाख के लोग उनकी शक्तियां जाने और शासन पर नौकरशाहों के नियंत्रण को लेकर भी नाराज हैं। दरअसल, केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में लद्दाख से 4 विधायक होते थे, लेकिन अब पूरा प्रशासन नौकरशाही के हाथों में है। फिलहाल लेह और कारगिल में 2 हिल परिषद हैं, लेकिन ये छठवीं अनुसूची में नहीं हैं और उनकी शक्तियां कुछ स्थानीय टैक्स और केंद्र सरकार से मिलीं जमीन के इस्‍तेमाल तक सीमित हैं।

आंदोलन

कितना बड़ा है वांगचुक का आंदोलन?

वांगचुक के आंदोलन को लेह एपेक्स बॉडी (LAB), कारगिल जनतांत्रिक गठबंधन (KDA) और लद्दाख बौद्ध संघ (LBA) जैसे कई संगठनों का समर्थन प्राप्त है। KDA ने आज (20 मार्च) को वांगचुक के समर्थन में आधे दिन का बंद रखने और रैली निकालने का ऐलान किया है। इस बीच वांगचुक ने दुनिया को जमीनी हकीकत दिखाने के लिए 10,000 लद्दाखी चरवाहों और किसानों के साथ चीन से सटी सीमा तक मार्च निकालने का आह्वान किया है।

सरकार

वांगचुक की मांगों पर सरकार का रुख क्या है?

गृह मंत्रालय ने इसी साल जनवरी में लद्दाख के लोगों की मांग के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय कर रहे हैं। इस समिति ने 19 से लेकर 23 फरवरी और 4 मार्च को अलग-अलग प्रतिनिधियों से बात की, लेकिन कोई सहमति नहीं बन सकी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार लद्दाख को छठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए तैयार नहीं है।

वांगचुक

कौन हैं सोनम वांगचुक?

1966 में जन्मे वांगचुक एक इंजीनियर और पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। वे स्टूडेंट एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) के संस्थापक-निदेशक हैं, जो लद्दाख में शिक्षा प्रणाली में सुधार पर केंद्रित है। वांगचुक ने भारतीय सेना के लिए बेहद ठंडे स्थानों पर उपयोग वाले सौर टेंट बनाए हैं। उन्हें 2018 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। फिल्म '3 इडियट्स' में आमिर खान ने जिस रैंचो का किरदार निभाया था, वो वांगचुक पर ही आधारित था।

Advertisement