किसानों ने फिर से क्यों किया दिल्ली का रुख?
क्या है खबर?
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चले लंबे आंदोलन के बाद किसानों ने अब फिर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का रुख किया है।
फिलहाल दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसानों की महापंचायत चल रही है।
इसमें पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान सहित कई राज्यों के करीब 40 किसान संगठनों के किसान शामिल हुए हैं। इसको लेकर दिल्ली पुलिस ने कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए है।
आइये जानते हैं कि किसानों ने आखिर यह महापंचायत क्यों बुलाई है।
आह्वान
किसने बुलाई है महापंचायत?
यह महापंचायत कई किसान संगठनों ने बुलाई है। इसमें बड़े नाम संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनैतिक) और भारतीय किसान यूनियन एकता सिधुपुर शामिल हैं। BKU एकता सिद्धूपुर के जगजीत सिंह दल्लेवाल इसका नेतृत्व कर रहे हैं।
पहले कहा जा रहा था कि इसमें किसान आंदोलन करने वाला संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) भी शामिल है, लेकिन बाद उसने बयान जारी कर खुद को इससे अलग कर लिया और कहा कि उसने यह महापंचायत नहीं बुलाई है।
मांग
क्या है किसानों की मांग?
मुख्य रूप से यह महापंचायत देश में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर बुलाई गई है। किसानों का कहना है कि सरकार ने चुनावी वादों के अनुसार युवाओं को रोजगार नहीं दिया है। इससे बेरोजगारी बढ़ रही है।
इसी तरह उन्होंने सरकार की अग्निपथ योजना का भी विरोध करते हुए उसे वापस लेने की मांग की है।
किसानों का कहना है कि नौकरी लगने वाले 75 प्रतिशत युवा चार साल बाद बेरोजगार हो जाएंगे। ऐसे में सरकार को इसे वापस लेना चाहिए।
अन्य मांग
इन मांगों पर भी हुई चर्चा
किसानों ने लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के परिवारों को इंसाफ, जेलों में बंद किसानों की रिहाई और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी, MSP की गारंटी का कानून, देश के सभी किसानों को कर्जमुक्त करने और बिजली बिल 2022 को रद्द करने की भी मांग पर चर्चा की है।
इसके अलावा गन्ने की MSP बढ़ाने, गन्ना किसानों का बकाया भुगतान करने और किसान आंदोलन में दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने की मांग की है।
जानकारी
ये भी किसानों की मांगों में शामिल
किसानों ने महापंचायत में विश्व व्यापार संगठन से बाहर आए और सभी मुक्त व्यापार समझौतों को रद्द करने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत देश के सभी किसानों के बकाया मुआवजे का तत्काल भुगतान करने की भी मांग रखी है।
समय
किसानों ने दिया 15 दिन का समय
दिनभर चली किसानों की महापंचायत शाम करीब 6 बजे खत्म हो गई। इसमें किसानों ने सरकार को मांगे पूरी करने के लिए 15 दिन का समय दिया है।
किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि मांगे नहीं मानने पर 15 दिन बाद आंदोलन को और तेज किया जा सकता है। मंगलवार को किसान मोर्चे की बैठक रकाबंज गुरुद्वारे में आयोजित की जाएगी। इस बैठक में मांगे पूरी न होने की सूरत में आगे की रणनीति तय की जाएगी।
संगठन
महापंचायत में शामिल हुए कौन-कौनसे किसान संगठन?
इस महापंचायत में BKU एकता सिद्धूपुर के अलावा राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ, BKU अंबाबता, BKU सिरसा, भातरीय किसान एकता, BKU खौसा, भारतीय किसान नौजवान यूनियन, अन्नता किसान यूनियन हरियाणा, बुंदेलखंड किसान यूनियन, भारतीय किसान मजदूर यूनियन, हरियाणा किसान यूनियन, खेती बचाओ मोर्चा के किसान शामिल हुए हैं।
इसी तरह किसान मजदूर महासंघ ओडिसा, BKU अराजनैतिक, किसान समाज संगठन, टोल हटाओ संघर्ष समिति सहित 40 किसान संगठनों के किसान शामिल थे।
प्रभाव
महापंचायत का क्या देखने को मिला असर?
दिल्ली में किसानों की महापंचायत का सबसे बड़ा असर ट्रैफिक पर देखने को मिला। प्रशासन की ओर से प्रदर्शन की अनुमति न दिए जाने के कारण पुलिस ने गाजीपुर, सिंघु और अन्य बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी रखी।
यहां पर बैरिकेड्स लगाए गए और भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया।
इसके कारण गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर कई किलोमीटर लंबा जाम लगने से लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। इसी तरह जंतर-मंतर इलाके में भी ट्रैफिक बाधित रहा।
हिरासत
हिरासत में लिए गए कई किसान
किसान महापंचायत को देखते हुए पुलिस ने रविवार शाम को किसान नेता राकेश टिकैत को हिरासत में ले लिया था। वह बेरोजगारी के खिलाफ जंतर-मंतर पर हो रहे धरने में हिस्सा लेने जा रहे थे।
इसी तरह सोमवार को गाजीपुर बॉर्डर पर लगाई गई बेरिकेडिंग को हटाने के कारण पुलिस ने दर्जनों किसानों को हिरासत में ले लिया।
इन किसानों को बसों में बैठाकर पुलिस लाइन ले जाया गया। अन्य बॉर्डर पर भी कई किसान हिरासत में लिए गए।
किसान आंदोलन
न्यूजबाइट्स प्लस
2020-21 में केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ बड़ा किसान आंदोलन हुआ था और लाखों किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक धरना दिया था।
इन कानूनों में प्राइवेट मंडिया बनाने और अनुबंध खेती को अनुमति देने समेत कई बड़े प्रावधान किए गए थे।
किसानों का तर्क था कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है। प्रधानमंत्री मोदी ने 19 नवंबर, 2021 को तीनों कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान किया था।