दिल्लीः सिख दंगा पीड़ितों ने राजीव चौक साइनबोर्ड पर कालिख पोतकर लटकाई जूतों की माला
क्या है खबर?
सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के एक समूह ने बुधवार को सेंट्रल दिल्ली के राजीव चौक साइनबोर्ड पर कालिख पोत दी।
इन पीड़ितों ने पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ नारेबाजी की और साइनबोर्ड पर जूतों की माला भी टांग दी।
ये लोग राजीव चौक का नाम बदलकर शहीद क्रांतिकारी भगत सिंह के नाम पर रखने की मांग कर रहे हैं।
मामले की जानकारी मिलने के बाद नई दिल्ली नगर निगम (NDMC) ने इस संबंध में पुलिस में शिकायत दी है।
राजनीति
कांग्रेस ने कहा- यह अनुचित काम है
नई दिल्ली के DCP मधुर वर्मा ने बताया कि NDMC की शिकायत पर हमने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज कर लिया है।
वहीं दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शीला दीक्षित ने कहा कि यह अनुचित काम है।
शिरोमणि अकाली दल के विधायक और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि वे न तो इस घटना को उचित ठहरा सकते हैं और न ही इसकी निंदा करते हैं।
घटना
लुधियाना में राजीव गांधी की प्रतिमा पर कालिख
बीते 25 दिसंबर को लुधियाना में शिरोमणि अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने राजीव गांधी की प्रतिमा पर कालिख पोत दी थी।
लुधियाना के सलेम टबरी में यूथ अकाली दल (YAD) के नेता गुरदीप सिंह गोशा और मीतपाल ने पूर्व प्रधानमंत्री की प्रतिमा के मुंह पर काला पेंट पोता और हाथों पर लाल पेंट लगा दिया था।
ये कार्यकर्ता राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने की मांग कर रहे थे। इस मामले में एक व्यक्ति गिरफ्तार किया गया था।
ट्विटर पोस्ट
लुधियाना में हुई घटना का वीडियो
WATCH: Two workers of Youth Akali Dal (youth wing of SAD) vandalise and blacken a statue of Rajiv Gandhi in Salem Tabri area of Ludhiana.
— The Indian Express (@IndianExpress) December 25, 2018
Read more: https://t.co/Zuh8EFlBG7 pic.twitter.com/xbal74bEpx
मांग
SAD ने की राजीव गांधी से सम्मान वापस लेने की मांग
शिरोमणि अकाली दल (SAD) नेता सुखबीर सिंह बादल पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने की मांग कर चुके हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी ताकि राजीव गांधी से सम्मान वापस लिए जाने संबंधी प्रस्ताव पारित किया जा सके।
सुखबीर ने कहा कि मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि उनकी पार्टी पंजाबियों की भावना का सम्मान करेगी या नहीं।