#NewsBytesExplainer: असम में लगभग हर साल बाढ़ क्यों आती है?
देश का पूर्वोत्तर राज्य असम एक बार फिर बाढ़ की चपेट में है। 20 जिलों के करीब 1.20 लाख लोग बाढ़ के कारण किसी न किसी तरह से प्रभावित हुए हैं। राज्य की कई नदियां उफान पर हैं और कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। राज्य में अभी और बारिश की संभावना जताई गई है, जिसके बाद हालात और बिगड़ सकते हैं। आइए जानते हैं कि असम में बार-बार बाढ़ आने के पीछे क्या कारण हैं।
असम की भौगोलिक स्थिति
असम में बार-बार बाढ़ आने के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है इसकी भौगोलिक स्थिति। दरअसल, असम 'V' आकार की घाटी में बसा है। यहां के कुल 78,438 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में से 56,194 वर्ग किलोमीटर हिस्सा ब्रह्मपुत्र नदी घाटी और 22,244 वर्ग किलोमीटर बराक नदी घाटी में स्थित है। आसपास के सभी क्षेत्रों के पानी की निकासी इसी घाटियों से होती है, जिससे यहां बाढ़ की स्थिति बनती है।
तेज गति से बहती नदियां
पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक, हिमालय से बहने वाली नदियां युवावस्था में हैं, यानी ये तेज गति से बहती हैं। इस वजह से ये अपने साथ बड़े स्तर पर जमीन का कटाव करती है, जो अंतत: नदी के तल में ही जमा हो जाता है। इससे नदी की गहराई कम हो जाती है और चौड़ाई बढ़ जाती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रह्मपुत्र नदी के तटों के कटाव के कारण घाटी की चौड़ाई 15 किलोमीटर तक बढ़ गई है।
पुराने और मिट्टी के तटबंध
BBC से बात करते हुए अखिल असम जल संसाधन ठेकेदार संघ के अध्यक्ष मुही गोहाईं कहते हैं, "असम में नदी के पास बने मिट्टी के तटबंध काफी पुराने हो गए है और उनकी क्षमता भी कम हुई है। नदियों की बदलती आकृति के सामने ये तटबंध टिक नहीं पाते हैं। बाढ़ के दौरान जो तटबंध टूट जाते हैं, आमतौर पर उनकी मरम्मत नदी के पास वाली मिट्टी से ही करवाई जाती है।" यह भी बार-बार बाढ़ आने का कारण है।
सामान्य से ज्यादा बारिश
ब्रह्मपुत्र बोर्ड के अनुसार, राज्य में हर साल सामान्य से 248 से लेकर 635 सेंटीमीटर तक ज्यादा बारिश हो रही है। कई बार एक दिन में 500 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की जाती है। इस वजह से अचानक से नदियों का जलस्तर बढ़ने लगता है। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के मुताबिक, असम के कुल भूमि क्षेत्र का 31.05 लाख हेक्टेयर (39.58%) इलाका बाढ़ संभावित क्षेत्र है, जो देश के कुल बाढ़ संभावित क्षेत्र का 10.2 प्रतिशत है।
असम में अभी कैसे हैं हालात?
अभी असम के करीब 780 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। बजाली, बक्सा, बारपेटा, बिस्वनाथ, चिरांग, दरांग, धेमाजी, धुबरी, डिब्रूगढ़, गोलाघाट, होजाई, कामरूप, कोकराझार, लखीमपुर, नागांव, नलबाड़ी, सोनितपुर, तामुलपुर और उदलगुरी समेत करीब 20 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। पूरे राज्य में 10,591.85 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र पानी की वजह से क्षतिग्रस्त हो गया है। ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदी बेकी 3 स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
लोगों को बचाने के लिए क्या किया जा रहा?
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और आपातकालीन सेवाओं ने बुधवार तक 1,280 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकाला है। बाढ़ के पानी से 4 तटबंध, 72 सड़कें और 7 पुल या तो पूरी तरह टूट गए हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) ने बताया कि नलबाड़ी जिले में 44,707, बक्सा में 26,571, लखीमपुर में 25,096, तामुलपुर में 15,610 और बारपेटा में 3,840 लोग प्रभावित हुए हैं।
किन-किन इलाकों में अभी और बारिश हो सकती है?
भारतीय मौसम विभाग ने बक्सा, बारपेटा, दरांग, डिब्रूगढ़, कोकराझार, लखीमपुर, नलबाड़ी, सोनितपुर और उदलगुरी में भारी बारिश की आशंका जताई है। इन इलाकों के लिए बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। गुरुवार और शुक्रवार के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। दिमा हसाओ और कामरूप मेट्रोपॉलिटन में भारी बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएं सामने आईं हैं। PTI के अनुसार, 5 जिलों में 14 राहत शिविर लगाए गए हैं, जहां 2,091 लोगों ने शरण ली है।