असम: बाल विवाह के खिलाफ विशेष अभियान; 9 दिनों में 4,000 से ज्यादा मामले, 1,800 गिरफ्तारी
क्या है खबर?
असम में पिछले नौ दिनों में बाल विवाह से संबंधित 4,000 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं और यहां पुलिस ने सरकार के आदेश पर आरोपियों की धरपकड़ के लिए एक विशेष अभियान चलाया हुआ है।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'बाल विवाह के खिलाफ चलाए अभियान के तहत अब तक 1,800 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और पुलिस को जीरो टॉलरेंस के तहत कार्रवाई करने को कहा गया है।'
मामला
असम सरकार ने जनवरी में किया था बाल विवाह के खिलाफ अभियान का ऐलान
23 जनवरी को असम सरकार ने बाल विवाह के खिलाफ एक राज्यव्यापी अभियान शुरू करने की घोषणा की थी। इसके तहत 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों के खिलाफ POCSO अधिनियम और 14 से 18 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों के खिलाफ बाल विवाह निषेध कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
इसके अलावा पिछले सात सालों में बाल विवाह कराने वाले काजियों और पुजारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
अभियान
मुख्यमंत्री बोले- आने वाले दिनों में और बढ़ सकते हैं मामले
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की घोषणा के बाद से राज्यभर में बाल विवाह के खिलाफ 4,004 मामले दर्ज किए हैं।
उन्होंने कहा, 'इतने मामले सिर्फ नौ दिनों में दर्ज हुए हैं। यह संख्या जल्द 8,000 या 9,000 के पार हो सकती है। हमारा मुख्य लक्ष्य मुल्ला, काजी या पुजारियों को पकड़ना है, जो बाल विवाह के लिए लोगों को प्रोत्सहित करते हैं। सभी जाति, पंथ और धर्म के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।"
केस
किन जिलों में बाल विवाह के ज्यादा मामले?
असम सरकार के मुताबिक, पुलिस द्वारा बाल विवाह के 4,004 मामलों में से सबसे ज्यादा 370 मामले धुबरी जिले में दर्ज किये गए हैं। इसके बाद होजई में 255, मोरीगांव में 224, कोकराझार में 204 और नलबाड़ी में 171 मामले सामने आए हैं।
धुबरी और मोरीगांव मुस्लिम बहुल जिले हैं। इसके साथ ही होजई और नलबाड़ी में भी मुस्लिम आबादी अधिक है।
हालांकि, सरकार ने साफ कहा है कि समुदाय विशेष के खिलाफ यह कार्रवाई नहीं की जाएगी।
उद्देश्य
असम में मातृ और शिशु मृत्यु दर ज्यादा
रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) के मुताबिक, देश में साल 2018-20 में असम में मातृ मृत्यु दर सबसे अधिक रही और एक लाख शिशुओं को जन्म देने के दौरान 195 प्रसूताओं की मौत हो गई।
असम का शिशु मृत्यु दर में देश में तीसरा स्थान है और जन्म लेते ही 1,000 में से 32 शिशुओं की मौत हो जाती है।
सरकार का मनाना है कि राज्य में बाल विवाह के कारण मातृ और शिशु मुत्यु दर बढ़ रही है।