IMD के पूर्वानुमान क्यों गलत साबित हो रहे हैं और क्या होता है इससे नुकसान?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मुंबई में भारी बारिश का 'रेड अलर्ट' जारी किया था। यह शुक्रवार सुबह साढ़े 8 बजे तक के लिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद IMD इसे 'येलो अलर्ट' में बदलते हुए हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश की भविष्यवाणी कर दी, लेकिन यह पूर्वानुमान भी सही नहीं हुआ। इसको लेकर IMD के पूर्वानुमान लगाने की तकनीक की आलोचना हो रही है। दिल्ली और NCR के लिए भी उसका पूर्वानुमान गलत साबित हुआ है।
IMD कैसे करता है मौसम की भविष्यवाणी?
मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए IMD उपग्रह डाटा और कंप्यूटर मॉडल पर निर्भर है। NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, IMD जियोसिंक्रोनस कक्षा में मंडराते हुए उपग्रहों की INSAT श्रृंखला का उपयोग करता है। इसके साथ ही एक मौसम डाटा एक्सप्लोरर एप्लिकेशन उत्पादों और सूचना प्रसार (RAPID) का वास्तविक समय विश्लेषण करता है। यह एप्लिकेशन एक गेटवे के रूप में कार्य करती है और चार आयामी विश्लेषण क्षमताओं के साथ त्वरित इंटरैक्टिव विज़ुअलाइज़ेशन प्रदान करती है।
IMD मौसम पूर्वानुमान के लिए देखता है ये चीजें
IMD मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए बादलों की गति, शीर्ष तापमान और जलवाष्प मात्रा पर डाटा एकत्र करता हैं, जिससे वर्षा का अनुमान लगाने, मौसम का पूर्वानुमान लगाने, चक्रवातों की उत्पत्ति और दिशा की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसी तरह IMD वायुमंडलीय तापमान, हवा की गति, दबाव आर्द्रता और समुद्र की सतह के तापमान के बारे में जानकारी के लिए मानवयुक्त और स्वचालित मौसम स्टेशनों, विमानों और जहाजों के डाटा का भी उपयोग करता है।
इन उपकरणों का भी होता है इस्तेमाल
मौसम के पूर्वानुमान के लिए डॉप्लर रडार, रेडियोसॉन्ड, सतही अवलोकन केंद्र और उन्नत मौसम प्रसंस्करण प्रणाली जैसे उपकरणों की आवश्यकता होती है। भारत में IMD डॉप्लर रडार का उपयोग करता है, जिससे पूर्वानुमान सटीक हो जाते हैं। देश में इन राडार की संख्या 37 है।
कैसे गलत साबित हुई IMD की भविष्यवाणियां?
इस साल की शुरुआत में IMD ने 8 और 9 जनवरी को मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत में मध्यम बारिश की चेतावनी दी थी। इसमें हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया था। हालांकि, इन दोनों ही तारीखों पर इन राज्यों के ज्यादातर हिस्सों में बारिश नहीं हुई। 8 जनवरी को अपने गलत पूर्वानुमान के बाद IMD ने 9 जनवरी को पूर्वानुमान बदलकर छिटपुट बारिश की संभावना कर दिया।
दिल्ली और मुंबई में गलत साबित हुए पूर्वानुमान
IMD ने 28 जून को दिल्ली में मानसून की दस्तक की भविष्यवाणी की थी, लेकिन उस दिन रिकॉर्ड बारिश हो गई। इसके बाद IMD को पूर्वानुमानों को बदलना पड़ा। मुंबई में IMD 3 बार रेड अलर्ट को येलो और ऑरेंज में बदल चुका है।
क्या है IMD के पूर्वानुमान गलत साबित होने का कारण?
समुद्री धाराओं में होने वाले अप्रत्याशित परिवर्तनों के कारण मौसम के पूर्वानुमान कई बार गलत हो जाते हैं। भारत के लिए बंगाल की खाड़ी बफर के रूप में कार्य करती है जो पूरे देश में मौसम को प्रभावित करती है। इसी तरह भारत की उष्णकटिबंधीय जलवायु के कारण मौसम का पूर्वानुमान लगाना अमेरिका और ब्रिटेन की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण है। ये दोनों देश अपने सटीक मौसम पूर्वानुमान के लिए जाने जाते हैं।
भारत का मौसम सटीक पूर्वानुमान के योग्य नहीं- जेनामणि
IMD के आरके जेनामणि ने इंडिया टुडे से कहा, "भारत उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में है। यह समुद्र और महासागरों से घिरा हुआ है और यहां का मौसम काफी गर्म के साथ यहां उच्च तापमान के साथ आर्द्रता भी बढ़ जाती है। कई शोधपत्रों में कहा गया है कि उष्णकटिबंधीय मौसम यूरोप और अमेरिका जैसे मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों की तुलना में कम पूर्वानुमान योग्य है। भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में मौसम के पैटर्न सटीक पूर्वानुमान के योग्य नहीं हैं।"
मशीनों और स्टेशनों के अच्छे नेटवर्क की कमी भी कारण
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन सटीक पूर्वानुमान में एक और बड़ी बाधा के रूप में काम करता है। इससे पूर्वानुमान लगाने वालों का काम और अधिक कठिन हो जाता है। इसके अलावा भारत में सटीक पूर्वानुमान लगाने के लिए जरूरी मशीनों और स्टेशनों के अच्छे नेटवर्क की कमी भी बड़ी कमी है। मौसम की भविष्यवाणी के लिए अमेरिका के पास 200 से अधिक डॉपलर रडार है, जबकि भारत में इनकी संख्या 2023 में 37 हुई है।
"IMD डाटा और उपग्रह की तस्वीरों की व्याख्या करने में रहता है पीछे"
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन ने कहा, "मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए IMD का मॉडल बेहतर हुआ है और अब अमेरिका, ब्रिटेन और जापान की तकनीक के बराबर है। वर्तमान में IMD के पास अपने खुद के मॉडल के साथ-साथ सभी अत्याधुनिक मॉडल तक पहुंच है।" हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि मौसम एजेंसी डाटा और उपग्रह तस्वीरों की व्याख्या करने में पीछे रह जाती है, जिससे पूर्वानुमान ज्यादा सटीक नहीं रहते हैं।
पूर्वानुमान गलत साबित होने से क्या होते हैं नुकसान?
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, पूर्वानुमान गलत साबित होने से आर्थिक और प्राकृतिक दोनों तरह के नुकसान होते हैं। कम बारिश की चेतावनी पर प्रशासन उसे सामान्य मानकर विशेष तैयारी नहीं कर पाता है और उस दौरान भारी बारिश होने के बाद जान-माल का बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है। इसी तरह भारी बारिश की चेतावनी पर प्रशासन अपनी पूरी ताकत से तैयारी करता है और बारिश न होने पर तैयारियां धरी रह जाती है। उससे राजस्व का नुकसान भी होता है।