मुगल संग्रहालय के निर्माण कार्य को पूरा कराएगी योगी सरकार, आवंटित किए 20 करोड़ रुपये
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार आगरा में अधूरे पड़े 'मुगल संग्रहालय' के निर्माण कार्य को पूरा कराएगी और उसने इसके लिए 20 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। मंगलवार को विधानसभा में पेश किए अपने पहले पूरक बजट में योगी सरकार ने इसका ऐलान किया। इस पूरक बजट में सरकार ने पर्यटन उद्योग को 163 करोड़ आवंटित किए हैं। मुगल संग्रहालय के अलावा अयोध्या में दिवाली उत्सव के लिए भी 6 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
ताजमहल के पास बन रहा है मुगल संग्रहालय
आगरा में मुगल संग्रहालय को ताजमहल के पूर्वी गेट के पास बनाया जा रहा है और इन दोनों में मात्र 1,300 मीटर की दूरी होगी। इसका प्रयोग पर्यटकों को मुगल काल और उनके हथियारों, परिधानों, संस्कृति और अन्य चीजों के बारे में बताने के लिए किया जाएगा। इस संग्रहालय का काम जून 2016 में अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में शुरू हुआ था और इसे दिसंबर 2017 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था।
इन कारणों से हुई निर्माण पूरा होने में देरी
लेकिन फंड की कमी और अन्य कारणों से इसमें देरी हुई। आगरा में पर्यटन विभाग के उप निर्देशक अमित श्रीवास्तव ने बताया कि परियोजना की अनुमानित लागत 141 करो़ड़ थी और शुरूआत मे 90 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। संग्रहालय के लिए आवंटित की गई 5.9 एकड़ जमीन में से 1.25 एकड़ जमीन पर राज्य बिजली विभाग का स्टोर रूम बना हुआ था। इसे शिफ्ट करने में देरी के कारण भी संग्रहालय के काम पर असर पड़ा।
नोएडा की कंपनी कर रही है संग्रहालय को डिजाइन
अब उत्तर प्रदेश सरकार ने संग्रहालय के अधूरे पड़े निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए 20 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए हैं। संग्रहालय को डिजाइन करने का जिम्मा नोएडा के डिजाइन स्टूडियो 'आर्कोम' को दिया गया है। कंपनी का कहना है कि संग्रहालय का 75 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। आर्कोम 'डेविड चिपरफील्ड आर्किटेक्ट्स' के बर्लिन दफ्तर के साथ सहयोग में संग्रहालय की डिजाइन का काम देख रही है।
योगी का मुगलों से रहा है छत्तीस का आंकड़ा
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी मुगल शासकों पर लगातार हमलावर रहे हैं और उन्हें "बाहरी" के नजरिए से देखते हैं। उन्होंने मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा बनाए गए ताजमहल को भारत का प्रतीक मानने से इनकार कर दिया था और उनकी सरकार ने इसे पर्यटन स्थलों की सूची से हटा दिया था। इसके अलावा वह इलाहाबाद सहित कई शहरों और जगहों का नाम भी बदल चुके हैं क्योंकि ये नाम मुगल शासन के प्रतीक थे।