सिख विरोधी दंगों में दोषी पाए गए सज्जन कुमार कौन हैं, क्या है मामला?
क्या है खबर?
1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने दोषी पाया है। उन्हें 18 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी।
सज्जन पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से इन्हीं दंगों से जुड़े एक मामले में उम्रकैद की सजा पा चुके हैं। एक अन्य मामले में वे बरी भी हो चुके हैं।
आइए जानते हैं सज्जन कौन हैं और किस मामले में दोषी पाए गए।
परिचय
कौन है सज्जन कुमार?
सज्जन का जन्म ब्रिटिश भारत में हुआ था। उन्होंने 1977 में दिल्ली में पार्षद का चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी।
1980 में वे कांग्रेस के टिकट पर पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने 1991 और 2004 में फिर लोकसभा चुनाव जीता। 2004 में रिकॉर्ड 8.55 लाख वोटों से चुनाव जीते थे।
दिसंबर, 2018 में सिख दंगों से जुड़े एक मामले में सजा होने के बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।
मामला
सज्जन को फिलहाल किस मामले में दोषी पाया गया?
ये मामला 1984 के दंगों के दौरान दिल्ली के सरस्वती विहार में 2 सिखों की हत्या से जुड़ा है।
तब एक नवंबर को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन में सज्जन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
सज्जन पर भीड़ को उकसाने का आरोप था। बाद में जांच SIT को सौंपी गई थी। 2021 में सज्जन को दोषी पाते हुए आरोप तय किए गए थे।
अन्य मामला
5 सिखों की हत्या मामले में भी दोषी है सज्जन
दगों के दौरान ही दिल्ली कैंट के राजनगर इलाके में भीड़ ने 5 सिखों- केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंद्र सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी थी और गुरुद्वारा जला दिया था।
इस मामले में 17 दिसंबर, 2018 को दिल्ली की एक कोर्ट ने सज्जन को दोषी पाया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
दंगों से जुड़े एक अन्य मामले में सज्जन को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है।
दंगे
क्यों भड़के थे दंगे?
दरअसल, 1970 के दशक में खालिस्तानी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले ने अपने कुछ स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था।
इसके बाद 5 जून, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत सेना को स्वर्ण मंदिर में भेज भिंडरावाले और उसके समर्थकों को मार गिराया था।
इसका बदला लेने के लिए इंदिरा गांधी के 2 सिख सुरक्षाकर्मियों ने उनकी हत्या कर दी थी। इसके बाद देश में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे।