
कौन हैं नरेंद्र मान, जिनको बनाया गया तहव्वुर राणा मामले का सरकारी वकील?
क्या है खबर?
मुंबई 26/11 आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा गुरुवार को अमेरिका से भारत पहुंच जाएगा। यहां उसको तिहाड़ जेल या मुंबई जेल में रखा जा सकता है।
केंद्र ने आतंकी हमला मामले में सुनवाई के लिए अधिवक्ता नरेंद्र मान को विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया है।
गृह मंत्रालय की ओर से जारी गजट अधिसूचना के मुताबिक मान 3 साल की अवधि के लिए नियुक्त हैं।
आइए, जानते हैं कौन हैं नरेंद्र मान, जिन पर केंद्र ने भरोसा जताया है।
अधिसूचना
गृह मंत्रालय के गजट अधिसूचना में क्या लिखा है?
संयुक्त सचिव अभिजीत सिन्हा द्वारा जारी अधिसूचना में लिखा है, "केंद्र सरकार, दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष कोर्ट और अपीलीय कोर्ट के समक्ष NIA की ओर से NIA मामले (RC-04/2009/NIA/DLI) से संबंधित मुकदमे और अन्य मामलों के संचालन के लिए, अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से 3 साल की अवधि के लिए या मामले के मुकदमे के पूरा होने तक, जो भी पहले हो, नरेंद्र मान, अधिवक्ता को विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त करती है।"
काम
राणा मामले में क्या करेंगे अधिवक्ता मान?
केंद्र सरकार के आदेश पर 11 नवंबर, 2009 को NIA ने दिल्ली में RC-04/2009/NIA/DLI केस दर्ज किया गया, जिसमें राणा और डेविड कोलमैन हेडली मुख्य आरोपी हैं।
दोनों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 121A, गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) की धारा 18 और सार्क कन्वेंशन (आतंकवाद की रोकथाम) धारा 6(2) के तहत मामला दर्ज है।
मान की जिम्मेदारी होगी कि राणा को सख्त सजा दिलाई जाए। वह NIA कोर्ट और अपीलीय कोर्ट में राणा के खिलाफ पक्ष रखेंगे।
पहचान
कौन हैं अधिवक्ता नरेंद्र मान?
अधिवक्ता मान को कानून की व्यापक जानकारी है और अपराध मामलों की गहरी समझ है। वे इस क्षेत्र में जाना-माना नाम हैं। इसी दक्षता को देखते हुए उन्हें मुंबई 26/11 हमला मामले के लिए चुना गया है।
मान पहले भी कई हाई प्रोफाइल मामलों की बतौर लोक अभियोजक पैरवी कर चुके हैं। उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के लिए भी कई बड़े मामले संभाले हैं।
उन्होंने 2018 में कर्मचारी चयन आयोग (SSC) पेपर लीक मामले में भी बहस की थी।
हमला
मुंबई हमले में मारे गए थे 175 लोग
26 नवंबर, 2008 को मुंबई में आतंकी हमला हुआ था। तब समुद्र के रास्ते पाकिस्तान से आए पाकिस्तानी आतंकियों ने ताज होटल समेत 6 जगहों पर हमले किए थे।
हमले में विदेशी नागरिकों समेत 175 लोगों की मौत हुई थी, जबकि कई सैंकड़ों घायल हुए थे। 4 दिनों तक तक चले आतंकरोधी अभियान के बाद सुरक्षाबलों ने 9 आतंकियों को मौके पर ही मार गिराया था।
इसी तरह एक जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब को फांसी दी गई थी।