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    #NewsBytesExplainer: लद्दाख में क्यों सड़कों पर लोग, क्या है अनुच्छेद 371 और छठवीं अनुसूची का विवाद?
    लद्दाख में बीते कई दिनों से प्रदर्शन हो रहे हैं

    #NewsBytesExplainer: लद्दाख में क्यों सड़कों पर लोग, क्या है अनुच्छेद 371 और छठवीं अनुसूची का विवाद?

    लेखन आबिद खान
    Mar 07, 2024
    06:19 pm

    क्या है खबर?

    लद्दाख में बीते एक महीने से भी ज्यादा समय से विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। यहां के लोग लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने, इसे संविधान की छठवीं अनुसूची में शामिल करने, यहां अनुच्छेद 371 लागू करने और लेह और कारगिल के लिए एक-एक संसदीय सीट देने की मांग कर रहे हैं।

    इस संबंध में सरकार की प्रदर्शनकारियों से कई दौर की बातचीत हुई है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

    आइए समझते हैं कि ये पूरा विवाद क्या है।

    विवाद

    कैसे शुरू हुआ विवाद?

    5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई थी। इसके बाद जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया और इसमें से लद्दाख को अलग कर दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।

    हालांकि, फर्क ये था कि जम्मू-कश्मीर को अपनी विधानसभा मिली, लेकिन लद्दाख बिना विधानसभा का केंद्र शासित प्रदेश बना। लद्दाख में कोई विधानसभा नहीं है।

    इसके बाद से ही लद्दाख के स्थानीय लोग अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।

    छठी अनुसूची

    क्या है संविधान की छठवीं अनुसूची?

    छठवीं अनुसूची में आदिवासी आबादी के लिए कई विशेष प्रावधान हैं। इसके तहत जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाए जा सकते हैं।

    राज्‍य के भीतर इन जिलों को विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वायत्तता मिलती है। राज्यपाल इन जिलों की सीमा घटा-बढ़ा सकते हैं।

    हर स्वायत्त जिले में एक स्वायत्त जिला परिषद (ADC) बनाई जा सकती है। इसे भूमि, जंगल, जल, कृषि, ग्राम परिषद, विरासत, विवाह और तलाक और खनन आदि से जुड़े कानून बनाने का हक होता है।

    मांग

    लद्दाख के लोग क्यों कर रहे हैं छठवीं अनुसूची की मांग?

    केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख को अपनी विधानसभा नहीं मिली है। पहले की विधानसभा में लद्दाख से 4 विधायक होते थे। अब पूरा प्रशासन नौकरशाही के हाथ में है।

    फिलहाल लेह और कारगिल में 2 हिल परिषद हैं, लेकिन वे छठवीं अनुसूची में नहीं हैं और उनकी शक्तियां कुछ स्थानीय टैक्स और केंद्र सरकार से मिलीं जमीन के इस्‍तेमाल तक सीमित हैं।

    बता दें कि लद्दाख में अधिकांश आबादी अनुसूचित जनजाति यानि आदिवासी है।

    अनुच्छेद 371

    क्या है अनुच्छेद 371?

    अनुच्छेद 371 में पूर्वोत्तर के 6 राज्यों समेत 11 राज्यों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। जब संविधान लागू हुआ था, तब अनुच्छेद 371 नहीं था। इसे बाद में संशोधन के जरिए जोड़ा गया।

    इसे लागू करने का उद्देश्य पिछड़े राज्यों को पटरी पर लाना, आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करना और स्थानीय लोगों को नौकरी में आरक्षण देना था।

    अलग-अलग राज्यों में अनुच्छेद 371(A) से लेकर 371(J) तक लागू हैं।

    सरकार

    लोगों की मांगों पर सरकार ने अब तक क्या किया है?

    गृह मंत्रालय ने इसी साल जनवरी में लद्दाख के लिए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है।

    ये समिति भौगोलिक स्थिति और सामरिक महत्व को ध्यान में रखते हुए इलाके की संस्कृति और भाषा की रक्षा के उपायों पर चर्चा करेगी।

    हालांकि, विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कारगिल जनतांत्रिक गठबंधन (KDA) और लद्दाख बौद्ध संघ (LBA) ने समिति की बैठकों में भाग लेने से इनकार कर दिया है।

    लद्दाख

    क्या छठवीं अनुसूची में शामिल होगा लद्दाख?

    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार ने लद्दाख को छठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को ठुकरा दिया है, लेकिन राज्य में अनुच्छेद 371 लागू किया जा सकता है।

    छठवीं अनुसूची को लेकर केंद्र का कहना है कि ये केवल पूर्वोत्तर राज्यों के लिए है और बाकी हिस्सों के जनजातीय इलाकों के लिए 5वीं अनुसूची है।

    4 मार्च को दिल्ली में एक प्रतिनिधिमंडल के साथ सरकार की बात भी हुई थी, जो बेनतीजा रही।

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