रिलायंस इंडस्ट्रीज को सरकार ने क्यों भेजा लगभग 240 अरब रुपये का डिमांड नोटिस?
क्या है खबर?
भारत सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और उसके भागीदारों को 2.81 अरब डॉलर (लगभग 240 अरब रुपये) का डिमांड नोटिस भेजा है।
यह नोटिस कथित रूप से तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) के ब्लॉक से माइग्रेट हुई प्राकृतिक गैस के उत्पादन और बिक्री को लेकर जारी किया गया है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने यह मांग 3 मार्च, 2025 को भेजी। RIL कानूनी रूप से इसे चुनौती देने के लिए कदम उठा रही है।
कारण
विवाद की वजह क्या है?
यह विवाद 2013 में तब शुरू हुआ जब ONGC ने आरोप लगाया कि RIL ने बंगाल की खाड़ी में अपने KG-D6 ब्लॉक में ऐसे कुएं खोदे, जो उसके KG-DWN-98/2 ब्लॉक से प्राकृतिक गैस खींचते थे।
2015 में ग्लोबल कंसल्टेंट D&M रिपोर्ट में बताया गया कि दोनों ब्लॉकों के जलाशय आपस में जुड़े हुए हैं।
इसके बाद, 2016 में सरकार ने RIL पर लगभग 135 अरब रुपये का जुर्माना लगाया, जो अब बढ़कर 240 अरब रुपये हो गया है।
नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद नोटिस
RIL ने सरकार की मांग को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी, जिसने 2018 में कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया।
हालांकि, 2023 में सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की, जहां एकल न्यायाधीश ने फिर से RIL के पक्ष में निर्णय दिया। 14 फरवरी, 2025 को डिवीजन बेंच ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके बाद यह डिमांड नोटिस जारी किया गया।
RIL इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है।
स्थिति
RIL का रुख और आगे की स्थिति
RIL का कहना है कि इस डिमांड नोटिस से किसी वित्तीय देनदारी की संभावना नहीं है। कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि वह कानूनी विकल्प तलाश रही है और हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देगी।
पहले, KG-D6 ब्लॉक में RIL की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत थी, लेकिन निको के बाहर निकलने के बाद यह बढ़कर 66.6 प्रतिशत हो गई। सरकार के इस डिमांड नोटिस के बाद उद्योग जगत में हलचल तेज हो गई है।