अयोध्या विवाद: छह मुस्लिम याचिकाकर्ताओं का मध्यस्थता समिति पर सुन्नी वक्फ बोर्ड से मिलीभगत का आरोप
अयोध्या जमीन विवाद में हिंदू और मुस्लिम पक्ष के कुछ याचिकाकर्ताओं के एक समझौते पर तैयार होने का मध्यस्थता समिति का प्रस्ताव विवादों के केंद्र में आ गया है। छह मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने मध्यस्थता समिति के एक सदस्य पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है। इन याचिकाकर्ताओं ने मध्यस्थता समिति पर कार्यवाही की बातें लीक करने का आरोप लगाते हुए कहा कि किसी समझौते का सवाल ही पैदा नहीं होता।
मध्यस्थता समिति के सदस्य श्रीराम पंचू पर लगाया आरोप
'न्यूज 18' की एक रिपोर्ट के अनुसार, अयोध्या विवाद के छह मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने मध्यस्थता को असंभव बताते हुए मध्यस्थता समिति के सदस्य श्रीराम पंचू पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड अकेले समाधान पर कोई फैसला नहीं ले सकता। प्रस्तावित समझौता लीक होने की आलोचना करते हुए उन्होंने ये कहा कि मध्यस्थता समिति की कार्यवाही को गुप्त रखना था।
मध्यस्थता समिति ने सुनवाई के अंतिम दिन सुप्रीम कोर्ट को दी रिपोर्ट
बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया था कि अयोध्या मामले में सुनवाई के अंतिम दिन बुधवार को मध्यस्थता समिति ने सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें बताया गया था कि कुछ हिंदू और मुस्लिम पार्टियां समझौते को तैयार हैं।
राम मंदिर के लिए विवादित जमीन पर दावा छोड़ने के लिए पांच शर्तें
प्रस्तावित समझौते के अनुसार, सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित 2.7 एकड़ जमीन को सरकार को देने और उस पर मंदिर निर्माण को तैयार है, लेकिन इसके लिए उसने पांच शर्तें रखी हैं। पहली शर्त ये है कि पूजा स्थल कानून, 1991 को मजबूत करते हुए देश के सभी धार्मिक स्थलों को आजादी के समय की यथास्थिति में रखा जाए और इसके बाद किसी भी मस्जिद पर दावा पेश नहीं किया जाए। केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में इसका आश्वासन देना होगा।
अयोध्या में पुरानी मस्जिदों की मरम्मत की भी शर्त रखी गई
दूसरी शर्त ये है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा नियंत्रित देशभर की जिन मस्जिदों में नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं है, उनमें नमाज पढ़ने की इजाजत दी जाए। ऐसी मस्जिदों की संख्या नहीं बताई गई है। प्रस्तावित समझौते में तीसरी शर्त ये है कि केंद्र सरकार अयोध्या में सभी पुरानी और खराब हालत में पड़ी मस्जिदों की मरम्मत कराए। अगली शर्त है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक किसी दूसरी जगह पर मस्जिद बनाने की इजाजत दी जाए।
सामाजिक सद्भाव के लिए एक संस्थान बनाने का भी प्रस्ताव
पांचवीं और आखिरी शर्त ये रखी गई है कि सामाजिक सद्भाव के लिए एक संस्थान का निर्माण किया जाए और इसका मुख्यालय अयोध्या में स्थिति हो। हालांकि, इस संस्थान के प्रारूप के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं है।
समझौते पर तैयार नहीं ज्यादातर पार्टियां
इस प्रस्तावित समझौते पर हिंदू पक्ष से निर्वाणी अखाड़ा (निर्मोही अखाड़ी की पैतृक संस्था), श्री राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति और हिंदू महासभा तैयार हुए थे। वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस समझौते पर सहमति जताई है। विवाद की ज्यादातर पार्टियों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए थे, जिसके बाद से ही संभावना जताई जा रही थी कि उनकी ओर से इसका विरोध किया जाएगा। अब छह मुस्लिम पार्टियों ने इसकी शुरूआत कर दी है।