क्या होता है आर्थिक सर्वे और ये क्यों है महत्वपूर्ण?
कल 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट संसद में पेश किया जाना है। तय परंपरा के अनुसार बजट से एक दिन पहले संसद में पिछले वित्त वर्ष का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है। इस बार भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में 2019-20 का आर्थिक सर्वे करेंगी। देश में आर्थिक मंदी को देखते हुए सबकी नजरें इस पर होंगी। लेकिन ये आर्थिक सर्वे आखिर होता क्या है और ये क्यों महत्वपूर्ण है, आइए आपको बताते हैं।
क्या होता है आर्थिक सर्वे में?
आर्थिक सर्वे में पिछले एक साल में देश की आर्थिक स्थिति की रिपोर्ट और इससे संबंधित आंकड़े होते हैं। इस सर्वे में अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी मुख्य चुनौतियों और इनसे निपटने के उपायों के बारे में भी बताया जाता है। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय का आर्थिक प्रभाग ये सर्वे तैयार करता है। इस बार का आर्थिक सर्वे मौजूदा CEA डॉ कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने तैयार किया है।
पिछले कुछ सालों से दो हिस्सों में पेश हो रहा आर्थिक सर्वे
आर्थिक सर्वे तैयार करने के बाद वित्त मंत्री इसे मंजूर करता है। पहला आर्थिक सर्वे 1950-51 में पेश किया गया था और 1964 तक इसे बजट के साथ ही पेश किया गया। इसके बाद इसे बजट से एक दिन पहले संसद में पेश किया जाने लगा। पिछले कुछ सालों से इसे दो हिस्सों में पेश किया जा रहा है। पहले हिस्से में अर्थव्यवस्था की मुख्य चुनौतियों और दूसरे हिस्से में पूरे साल की आर्थिक स्थिति का लेखाजोखा बताया जाता है।
क्यों महत्वपूर्ण है आर्थिक सर्वे?
आर्थिक सर्वे को एक बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है क्योंकि ये देश की आर्थिक स्थिति और उस पर सरकार के नजरिए का आधिकारिक और विस्तृत खाका पेश करता है। इससे भविष्य में सरकार की आर्थिक नीतियों का अनुमान लगाया जा सकता है। सर्वे ये भी बताता है कि अर्थव्यवस्था में छोटी और मध्यम अवधि की किस तरह की संभावनाएं मौजूद हैं। इसका प्रयोग अर्थव्यवस्था की मुख्य चिंताओं की तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए भी किया जाता है।
क्या सरकार के लिए बाध्य है आर्थिक सर्वे?
आर्थिक सर्वे को संसद में पेश करने के लिए सरकार संवैधानिक रूप से बाध्य नहीं है। हालांकि सर्वे के महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार बाध्य न होने के बावजूद इसे हर साल संसद में पेश करती है। इसके अलावा सरकार के लिए सर्वे में बताई गईं सिफारिशों पर अमल करना भी जरूरी नहीं है। सरकार चाहे तो ये सर्वे में बताए गए सभी सुझावों को खारिज कर सकती है।
इस साल के आर्थिक सर्वे से क्या उम्मीदें?
ऐसे समय में जब देश की विकास दर पिछले छह साल में सबसे बुरे दौर में है, आर्थिक सर्वे पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। ये अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के सरकार के प्रयासों के बारे में अहम जानकारी दे सकता है। सरकार के सामने मुख्य चुनौती इस बात की है कि वो राजकोषीय घाटा कम करने की अपनी नीति पर कायम रहे या विकास को बढ़ावा देने के लिए खर्च बढ़ाए। सर्वे से इसकी झलक मिल सकती है।
बेरोजगारी से निपटने के तरीकों पर भी मिल सकती है जानकारी
बेरोजगारी, निजी निवेश और खपत में कमी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए बजट में क्या प्रावधान किए जा सकते हैं, इसकी झलक भी आर्थिक सर्वे से मिल सकती है। इन मुद्दों को मौजूदा आर्थिक मंदी का एक बड़ा कारण माना जा रहा है।