#NewsBytesExplainer: उत्तरकाशी सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए किन-किन योजनाओं पर चल रहा काम?
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने का अभियान युद्धस्तर पर जारी है। पिछले 16 दिनों से बचाव टीम के सामने एक के बाद एक चुनौतियां आ रही हैं और इनसे निपटने के लिए लगातार योजनाओं में बदलाव करना पड़ रहा है। खबर है कि अब सुरंग में फंसे कुछ मजदूरों की तबीयत भी बिगड़ने लगी है। आइए जानते हैं मजदूरों को बचाने के लिए किन-किन योजनाओं पर काम जारी हैं और क्या चुनौतियां हैं।
हाथ से खुदाई
अमेरिकी ऑगर मशीन के खराब होने के बाद बचाव टीमों ने एक साथ कई रणनीतियों पर काम करने का फैसला किया है। इसमें सबसे पहली योजना सुरंग में हाथ से खुदाई (मैनुअल ड्रिलिंग) की है। इसके लिए 11 लोगों की एक टीम केंद्र सरकार ने भेजी है, जिसमें 6 विशेषज्ञ और अन्य 5 लोग शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि बचाव टीम 800 मिलीमीटर के पाइप के अंदर जाकर फावड़े और अन्य उपकरणों की मदद से खुदाई करेगी।
मैनुअल ड्रिलिंग में भारतीय सेना भी करेगी मदद
मैनुअल ड्रिलिंग बेहद जटिल काम है और इसमें भारतीय सेना के कुशल इंजीनियरों की मदद ली जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि मैनुअल ड्रिलिंग की योजना पर आज (27 नवंबर) से काम शुरू हो जाएगा क्योंकि पाइप में फंसे मशीन के हिस्से को प्लाज्मा कटर से काटकर बाहर निकाल लिया गया है। उन्होंने कहा कि कटिंग के काम के कारण अभी पाइप थोड़ा गर्म है और मैनुअल ड्रिलिंग से पहले इसके ठंडा होने का इंतजार किया जा रहा है।
वर्टिकल ड्रिलिंग
बचाव टीम वर्टिकल ड्रिलिंग की योजना पर भी काम कर रही है। इस तहत सुरंग के मुहाने से 300 मीटर दूर पहाड़ी के ऊपर से मशीनों के जरिए वर्टिकल ड्रिलिंग की जा रही है। इसमें सुरंग तक पहुंचने के लिए 86 मीटर तक खुदाई होनी है। वर्टिकल ड्रिलिंग का काम सतलुज जल विद्युत निगम (SJVN) द्वारा किया जा रहा है और अब तक टीम के सामने कोई बाधा नहीं आई है।
31 मीटर तक हुई वर्टिकल ड्रिलिंग
सीमा सड़क संगठन (BRO) के पूर्व प्रमुख हरपाल सिंह ने कहा, "31 मीटर तक वर्टिकल ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है। ये काम काफी चुनौतीपूर्ण है और टीम पूरा एहतियात बरत रही है।" उन्होंने कहा, "ड्रिलिंग के बाद टीम की योजना सभी मजदूरों को हार्नेस की मदद से बाहर निकालने की है।" राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने बताया कि वर्टिकल ड्रिलिंग का काम 30 नवंबर तक पूरा होने की उम्मीद है।
इन योजनाओं पर भी चल रहा है काम
बड़कोट छोर से भी सुरंग में फंसे मजदूरों तक पहुंचने की एक अन्य योजना है। इसमें ब्लास्टिंग तकनीक के जरिए लगभग 480 मीटर लंबी सुरंग बनाई जाएगी, लेकिन इस तकनीक से अभी तक मात्रा 10 मीटर की दूरी तय की जा सकी है। इसके अलावा सुरंग के बाईं ओर से भी एक छोटी सुरंग बनाने की योजना है। अधिकारियों के अनुसार, ये सुरंग 180 मीटर लंबी होगी और इसे बनाने में 10 से 15 दिन का समय लगेगा।
बचाव अभियान में क्या चुनौती आ सकती है?
उत्तरकाशी में जारी बचाव अभियान में मौसम बड़ी बाधा बन रहा है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 4,000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की भविष्यवाणी की है और सोमवार को यहां तापमान 4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट के साथ 16 डिग्री दर्ज किया गया, जिससे बचाव अभियान बाधित हो सकता है। हालांकि, NHIDCL निदेशक अहमद ने कहा, "बचावकर्मी हर स्थिति में काम करने के लिए प्रशिक्षित हैं और मौसम बचाव अभियान में बाधा नहीं बनेगा।"
मजदूरों की क्या स्थिति है?
बचाव अभियान के लंबा खिंचने से सुरंग में मजदूरों की मानसिक और शारीरिक स्थिति को लेकर भी चिंता बढ़ रही है। यहां सुरंग में फंसे कुछ मजदूरों की तबीयत भी बिगड़ने लगी, जिसके बाद उन्हें दवाइयां और अन्य चीजें उपलब्ध कराई गई हैं। सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों की मानसिक स्थिति जानने के लिए रोबोटिक सिस्टम का इस्तेमाल होगा। इसके लिए बचाव अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने रोबोटिक्स वैज्ञानिक मिलिंद राज को लखनऊ से सिलक्यारा बुलाया है।
पिछले 16 दिनों से सुरंग में फंसे हैं मजदूर
12 नवंबर की सुबह लगभग 5:00 बजे भूस्खलन के चलते यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया था, जिसके कारण 8 राज्यों के 41 मजदूर सुरंग में अंदर फंस गए। इन सभी मजदूरों को बचाने के लिए के लिए अलग-अलग टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं और सुरंग में सभी सुरक्षित हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लगातार बचाव अभियान की जानकारी ले रहे हैं।