उत्तराखंड में दिवाली के बाद लागू हो सकता है UCC, सरकार की तैयारियां पूरी- रिपोर्ट
उत्तराखंड अगले सप्ताह समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन सकता है। खबर है कि उत्तराखंड सरकार दिवाली के बाद विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाकर UCC विधेयक को पारित करते हुए नया इतिहास रच सकती है और इसे जल्द कानूनी दर्जा दिया जाएगा। न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई के नेतृत्व में गठित UCC समिति ने अपना सभी कार्य पूरा कर लिया है। समिति अगले कुछ दिनों में राज्य सरकार को अपनी एक रिपोर्ट सौंपेगी।
UCC विधेयक के लिए बुलाया जा सकता है विधानसभा सत्र
इंडिया टुडे की रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तराखंड सरकार जल्द UCC लागू कर सकती है और इसके लिए दिवाली के बाद विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया जा सकता है। इस साल जून में उत्तराखंड UCC समिति की अध्यक्ष न्यायाधीश देसाई ने कहा था कि उत्तराखंड के लिए प्रस्तावित UCC का मसौदा तैयार हो चुका है। उन्होंने कहा था कि UCC के मसौदे के साथ जल्द विशेषज्ञ समिति द्वारा बनाई एक रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी जाएगी।
उत्तराखंड के बाद गुजरात भी UCC लागू करने को तैयार
इंडिया टुडे के सूत्रों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार के नक्शेकदम पर चलते हुए गुजरात सरकार भी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले UCC लागू कर सकती है। इस कदम के साथ ही गुजरात UCC लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य बन जाएगा।
समिति ने कैसे तैयार किया UCC का मसौदा?
उत्तराखंड UCC समिति ने मसौदा तैयार करने के लिए पिछले 2 साल में करीब 63 बैठकें की। समिति को UCC पर 2.31 लाख लोगों ने लिखित में अपने विचार भेजे थे। इसके अलावा उपसमितियों ने राज्य के सीमांत इलाकों का दौरा किया और सभी राजनीतिक पार्टियों, धार्मिक प्रतिनिधियों और विधि आयोग से बात की। इस दौरान राज्य में प्रचलित प्रथाओं को समझने का प्रयास किया गया। साथ ही समिति ने कई देशों के कानूनों का अध्ययन भी किया।
समिति के मसौदे में क्या हैं प्रावधान?
समिति ने अपने मसौदे में लैंगिक भेदभाव और महिलाओं को संपत्ति में बराबर का हक देने की सिफारिश की है। विशेष रूप से बच्चों, महिलाओं और विकलांगों के साथ होने वाले भेदभाव खत्म करने पर जोर दिया गया है। इसके अलावा समिति ने लड़कियों की विवाह की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल किए जाने का प्रस्ताव रखा है। इसमें मुस्लिम महिलाओं से जुड़े वैवाहिक मुद्दों को भी प्राथमिकता दी गई है।
UCC मसौदे में और क्या प्रावधान किए गए हैं?
समिति ने UCC के मसौदे में बहुविवाह को प्रतिबंधित किया है। इसके तहत पुरुषों को बिना तलाक लिए 2 पत्नियों को रखने की इजाजत नहीं होगी। साथ ही बच्चों को गोद लेने और तलाक के लिए सभी धर्मों में समान प्रावधान भी प्रस्तावित हैं। इसके अलावा समिति की सिफारिश पर लिव-इन रिलेशनशिप में धोखेबाजी को देखते हुए रिलेशन में रहने के दौरान संबंधित जोड़ों के माता-पिता को सूचित करने और उनका रजिस्ट्रेशन करवाना भी अनिवार्य किया जा सकता है।
क्या है समान नागरिक संहिता?
UCC का मतलब है, देश के सभी वर्गों पर एक समान कानून लागू होना। अभी देश में विवाह, तलाक और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों पर सभी धर्मों के अपने अलग-अलग निजी कानून हैं और वे उन्हीं के मुताबिक चलते हैं। UCC लागू होने पर सभी धर्मों के लोगों को इन मुद्दों पर भी एक जैसे कानून का पालन करना होगा। यह महज एक अवधारणा है और विस्तार में इसका रूप कैसा होगा, इस पर कुछ तय नहीं है।