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    उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस लिए CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जारी वसूली नोटिस

    उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस लिए CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जारी वसूली नोटिस
    लेखन भारत शर्मा
    Feb 18, 2022, 03:07 pm 1 मिनट में पढ़ें
    उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस लिए CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जारी वसूली नोटिस
    भारत का सुप्रीम कोर्ट।

    उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद राज्य में नागरिकता (संशोधन) कानून (CAA) के खिलाफ विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों को जारी किए गए सभी वसूली नोटिसों को गुरुवार को वापस ले लिया है। इसके अलावा उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई को भी वापस लिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान इसकी जानकारी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के निर्णय की सराहना भी की है।

    उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में दिया यह जवाब

    द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) गरिमा प्रसाद ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ को बताया कि सरकार ने 2019 में CAA विरोधी 274 प्रदर्शनकारियों को उनके द्वारा कथित तौर पर सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली के लिए जारी नोटिस वापस ले लिए गए हैं और उनके खिलाफ कार्यवाही भी वापस ले ली गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के कदम की सराहना की।

    सुप्रीम कोर्ट ने दिए अब तक की गई वसूली को वापस करने के आदेश

    ASG ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार ने मामले में दोषियों को नए कानून के तहत बाद में नए नोटिस जारी करने का निर्णय किया है और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति चाहिए। उन्होंने बताया कि नए नोटिसों में कोर्ट के सभी आदेशों का पालन किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को अब तक की गई वसूली को भी वापस करना होगा, क्योंकि जब कार्रवाई वापस ली गई है तो वसूली का कोई औचित्य नहीं है।

    उत्तर प्रदेश सरकार ने की यथास्थिति की मांग

    ASG ने कहा कि मामले में नए कानून के तहत नए सिरे से कार्रवाई की योजना है। ऐसे में पुरानी वसूली को वापस करने के आदेश की जगह मामले में यथास्थिति के आदेश दिए जाने चाहिए, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

    नोटिस प्राप्त करने वालों ने दायर की थी याचिका

    इस मामले में नोटिस प्राप्त करने वाले परवेज आरिफ टीटू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य की सरकार की कार्रवाई को अवैध बताते हुए नोटिस को रद्द करने का आदेश देने की मांग की थी। उन्होंने याचिका में कहा था कि इस तरह के नोटिस मनमाने तरीके से भेजे गए हैं। सरकार ने छह साल पहले मर चुके व्यक्ति तक को नोटिस भेज दिया। इसी तरह 90 साल से अधिक आयु के लोगों को भी नोटिस भेजा है।

    सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार

    मामले में 11 फरवरी को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि दिसंबर 2019 में शुरू की गई कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत है और इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा था कि सरकार ने आरोपी की संपत्तियों को कुर्क करने के लिए खुद एक शिकायतकर्ता, निर्णायक और अभियोजक की तरह काम किया है। ऐसे में सरकार को इस कार्रवाई को वापस लेना होगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने दिया था नोटिस वापस लेने का आखिरी मौका

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ वसूली नोटिस वापस लें वरना वह खुद इसे रद्द कर देंगे। कोर्ट ने कहा था कि सरकार के पास इस कार्रवाई और नोटिसों को वापस लेने का आखिरी मौका है।

    उत्तर प्रदेश सरकार ने बचाव में दी थी ये दलीलें

    सुनवाई में ASG ने कहा था कि राज्य में 833 दंगाइयों के खिलाफ 106 FIR दर्ज की गईं और उनके खिलाफ 274 वसूली नोटिस जारी किए गए हैं। इनमें से 236 में वसूली के आदेश पारित हो चुके थे और 38 मामले बंद कर दिए गए। उन्होंने कहा था कि विरोध के दौरान 451 पुलिसकर्मी घायल हुए थे और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के वसूली के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की गई है।

    सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई को बताया आदेशों के खिलाफ

    ASG ने कहा था कि कार्रवाई के लिए 2020 में अधिसूचित नए कानून के तहत दावा ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है और उसका नेतृत्व सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश कर रहे हैं। पूर्व में इसके लिए अतिरिक्त जिला कलक्टर (ADM) तैनात थे। इस पर कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2009 और 2018 के फैसलों के अनुसार दावा ट्रिब्यूनल में न्यायिक अधिकारियों को नियुक्त किया जाना चाहिए, लेकिन यहां ADM तैनात किए गए हैं। यह पूरी तरह गलत है।

    न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)

    बता दें कि दिसंबर 2019 में संसद से नागरिकता कानून पारित होने के बाद पूरे देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन हुए थे। कुछ जगहों पर प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भी देखने को मिली थी। प्रदर्शनों के दौरान उत्तर प्रदेश में 21 लोगों की मौत हुई जो पूरे देश में सबसे अधिक थी। इनमें से अधिकांश की मौत गोली लगने की वजह से हुई और मृतकों के परिजनों ने पुलिस पर गोली लगाने का आरोप लगाया था।

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