सरकार और किसानों के बीच बातचीत आज, कानून वापस लेने की मांग पर अड़े किसान
कृषि कानूनों पर सरकार और किसानों के बीच बने गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्ष आज छठे दौर की बातचीत करेंगे। इससे पहले 8 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच आखिरी बार बैठक हुई थी, जो बेनतीजा रही। आज की वार्ता से पहले प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा है कि इस बैठक में कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की कानूनी गारंटी समेत केवल चार बिंदुओं पर चर्चा होनी चाहिए।
इन बिंदुओं पर चर्चा चाहते हैं किसान
कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल को भेजे पत्र में 40 किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कानून वापस लेने की प्रक्रिया, MSP पर खरीद की गारंटी के अलावा बिजली विधेयक और हवा की गुणवत्ता पर आने वाले विधेयक समेत चार बिंदुओं का जिक्र किया है। किसानों की मांग है कि आज की बैठक में केवल इन्हीं चार बिंदुओं पर चर्चा होनी चाहिए। किसानों का कहना है कि मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत जरूरी है।
सरकार से समाधान की दिशा में कदम उठाने की उम्मीद- किसान नेता
भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि सरकार को किसानों की तरफ से भेजा गया बातचीत का एजेंडा बहुत साफ है। उन्होंने कहा कि वो अब सरकार से समाधान की दिशा में कदम उठाने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि बातचीत के लिए सभी 40 संगठनों के नेता बैठक में जाएंगे, लेकिन इनमें से केवल पांच ही किसानों का पक्ष सरकार के सामने रखेंगे।
किसानों ने रखा था 29 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव
बता दें कि 40 किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चे ने 26 दिसंबर को केंद्र सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए उसके सामने 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे बातचीत का प्रस्ताव रखा था। किसान संगठनों के इसी प्रस्ताव का जबाव देते हुए अब सरकार ने उन्हें 30 दिसंबर को बैठक के लिए बुलाया है। अपने जबाव में सरकार ने ये भी कहा है कि वह खुले मन से मुद्दे के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।
किसानों ने स्थगित किया ट्रैक्टर मार्च
आज होने वाली बातचीत को देखते हुए प्रदर्शनकारी किसानों ने बुधवार को होने वाला ट्रैक्टर मार्च गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया है। भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, "अगर आज बातचीत सफल रहती है तो इस मार्च की कोई जरूरत नहीं है और हम नया साल हमारे परिवार के साथ बिताएंगे। हम बातचीत के लिए तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट भी यही चाहता है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत हो।"
सरकार संशोधन को तैयार, किसानों को यह मंजूर नहीं
केंद्र सरकार लगातार कानूनों में संशोधन की बात कह रही है, लेकिन किसान इसके लिए तैयार नहीं है। गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद किसानों को सरकार की तरफ से कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन किसानों ने यह ठुकरा दिया। प्रदर्शनकारी किसानों की कहना है कि उन्हें यह तीनों ही कानून मंजूर नहीं है और सरकार को इन्हें रद्द करना पड़ेगा। जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
क्या है किसानों के विरोध की वजह?
दरअसल, मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।