इंजीनियरिंग करने के बाद प्रतीक्षा दास बनी मुंबई की पहली महिला बस ड्राइवर, जानें उनकी कहानी
आज के आधुनिक युग में महिलाएँ, पुरुषों से किसी भी मामले में पीछे नहीं है। डॉक्टर, इंजीनियर, सैनिक बनकर देश की लाखों महिलाएँ देश का नाम रोशन कर रही हैं। लेकिन आज भी कुछ लोग हैं, जो यह मानते हैं कि महिलाएँ उनसे पीछे ही हैं। ऐसी ही रूढ़िवादी सोच को तोड़ते हुए प्रतीक्षा दास मुंबई की पहली महिला बस ड्राइवर बनी हैं। आइए आज आपको प्रतीक्षा दास की कहानी विस्तार से बताते हैं।
इंजीनियरिंग करने के बाद भी बनी बस ड्राइवर
दरअसल, जिस तरह तेलंगाना की 30 साल की वी. सरिता दिल्ली (DTC) की पहली महिला बस ड्राइवर बनी थीं, ठीक उसी तरह 24 साल की प्रतीक्षा दास भी अब मुंबई (BEST) की पहली महिला ड्राइवर बन गई हैं। मलाड के ठाकुर कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद भी प्रतीक्षा ने बस ड्राइवर बनना चुना और वह महानगरी की पहली और अकेली लाइसेंस प्राप्त महिला बस ड्राइवर बन गई हैं।
हमेशा से रहा भारी वाहनों को आज़माने का जुनून
प्रतीक्षा को हमेशा से ही भारी वाहनों का आज़माने का जुनून रहा है। वह कहती हैं कि यह एक ऐसी चीज़ है, जिसमें वह पिछले छह सालों से मास्टर बनने के लिए बेचैन थीं। भारी वाहनों के लिए उनका यह लगाव कोई नया नहीं है। प्रतीक्षा के अनुसार वह बाइक और भारी कारें तो पहले से ही चलाती रही हैं। अब वह बस और ट्रक भी ड्राइव कर लेती हैं। भारी वाहनों की ड्राइविंग उन्हें रोमांच से भर देती है।
ये लड़की चला पाएगी कि नहीं?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब प्रतीक्षा बस चलाने की ट्रेनिंग ले रही थीं, तो उन्हें देखकर उनके ट्रेनर को बहुत आश्चर्य हुआ। ट्रेनर ने प्रतीक्षा को देखकर कहा, "ये लड़की चला पाएगी कि नहीं?"
RTO ऑफ़िसर बनने की कर रही थीं तैयारी
प्रतीक्षा अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद RTO ऑफ़िसर बनने की तैयारी कर रही थीं, जिसके लिए उन्हें भारी वाहनों को चलाने के लिए लाइसेंस की ज़रूरत थी। इसी बीच उन्हें एक दिन ख़्याल आया कि वह ख़ुद बस चलाना क्यों न सीख लें। बस फिर क्या था, इसके बाद उनके जीवन की राह बदल गई। प्रतीक्षा को भारी वाहनों का लाइसेंस मिला और वह शहर की पहली लाइसेंस प्राप्त महिला बस ड्राइवर बन गईं।
आठवीं कक्षा में पहली बार चलाई थी मामा की बाइक
इस समय प्रतीक्षा मुंबई के अभ्यास मार्ग पर तेज़ रफ़्तार में बस दौड़ाती हैं। इसके साथ ही वह सवाल भी करती हैं कि आख़िर महिलाएँ ड्राइविंग सीट पर क्यों नहीं बैठ सकती हैं? उन्हें भी ऐसे जोखिम भरे सपने देखने का अधिकार है। प्रतीक्षा कहती हैं कि हर किसी को अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए जुनून होना चाहिए। आपको जानकार हैरानी होगी कि जब प्रतीक्षा आठवीं कक्षा में थीं, तभी उन्होंने पहली बार अपने मामा की बाइक चलाई थी।
प्रतीक्षा ले चुकी हैं घुड़सवारी का भी प्रशिक्षण
पांच फुट चार इंच लंबी प्रतीक्षा कहती है कि उनकी उम्र की लड़कियाँ आधुनिकता की चकाचौंध में खो जाना चाहती हैं, लेकिन उन्हें अपने परिवार से ऐसा संस्कार नहीं मिला है। शायद यही वजह है कि वो भारी वाहनों को न केवल चलाती हैं, बल्कि उन्हें एंजॉय भी करती हैं। प्रतीक्षा के अंदर तरह-तरह के वाहनों को चलाने का एक अजीब सा जज़्बा रहता है। केवल यही नहीं वो घुड़सवारी का भी प्रशिक्षण ले चुकी हैं।
बस पर चढ़ते ही घूरने लगते हैं ट्रेनर
जब प्रतीक्षा बस पर चढ़ती हैं, तो उनके ट्रेनर भी उन्हें हैरानी से घूरते हैं। ऐसा शायद इसलिए कि उन्हें भी ख़ुद पर गर्व होता है कि उन्होंने मुंबई की पहली लाइसेंस प्राप्त महिला बस ड्राइवर को बस चलाने की ट्रेनिंग दी है।
प्रतीक्षा उड़ाना चाहती हैं प्लेन
प्रतीक्षा अपने अगले सपने के बारे में कहती हैं, "जब मेरे पास पर्याप्त पैसे हो जाएँगे, तब मैं एयरप्लेन चलाना चाहती हूँ। इसके लिए मैं मुंबई स्थित फ़्लाइंग स्कूल में दाख़िला भी लेने जा रही हूँ।" उन्होंने कहा, "हालाँकि, यह आसान नहीं है। 40 घंटे की ट्रेनिंग के लिए उन्हें 5-6 लाख रुपये की ज़रूरत पड़ेगी।" प्रतीक्षा की भविष्य की योजना में बेंगलुरु जाकर अंतर-राज्यीय लक्ज़री बस चलाने की ट्रेनिंग लेना भी शामिल है।