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मुस्लिम दूसरी शादी तभी करें जब सभी पत्नियों संग समान व्यवहार हो- इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम बहु-विवाह पर फैसला दिया

मुस्लिम दूसरी शादी तभी करें जब सभी पत्नियों संग समान व्यवहार हो- इलाहाबाद हाईकोर्ट

लेखन गजेंद्र
May 15, 2025
10:13 am

क्या है खबर?

उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाई कोर्ट एक बार फिर अपनी टिप्पणी को लेकर चर्चा में है। मुरादाबाद के फुरकान और 2 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पुरुष तभी दूसरी शादी करें, जब वह सभी पत्नियों के साथ समान व्यवहार कर सके। न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल यह भी कहा कि इस्लाम में कुरान ने उचित कारणों से बहुविवाह की अनुमति दी है, लेकिन पुरुष इसका दुरुपयोग स्वार्थी उद्देश्यों के लिए करते है।

विवाद

क्या है मामला?

यह मामला 2020 का है, जब मुरादाबाद की एक महिला ने फुरकान, खुशनुमा और अख्तर अली के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उसका आरोप था कि फुरकान ने महिला को अंधेरे में रखा और शादीशुदा होने के बावजूद उससे दूसरी शादी की और इस दौरान फुरकान ने उसका रेप भी किया था। तीनों के खिलाफ मुरादाबाद के मैनाठेर थाने में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376, 495, 120-B, 504 और 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

सुनवाई

हाई कोर्ट में दी गई चुनौती

मामला पहले मुरादाबाद कोर्ट में था, जहां पुलिस ने फुरकान, खुशनुमा और अख्तर अली के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दिया था। इसके बाद कोर्ट ने तीनों को समन जारी किया। समन जारी होने के बाद तीनों आरोपी इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे और मुरादाबाद कोर्ट में नवंबर 2020 को दाखिल आरोपपत्र, संज्ञान और समन आदेश रद्द करने की मांग की। कोर्ट में फुरकान की ओर से पेश वकील ने मुस्लिम में दूसरी शादी को वैध बताया।

फैसला

कोर्ट ने क्या दिया फैसला?

कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि विपक्षी संख्या के कथन के अवलोकन से यह साफ है कि उसने स्वीकार किया है कि आवेदक फुरकान ने उसके साथ दूसरी शादी की और दोनों मुस्लिम हैं, तो यह वैध मानी जाएगी। कोर्ट ने आवेदक फुरकान के खिलाफ मामले में IPC की धारा 376 के साथ 495, 120-बी के तहत अपराध नहीं माना। कोर्ट 26 मई को अगली सुनवाई करेगी और आवेदक के खिलाफ कठोर कार्रवाई से रोका है।