शहरों की तरफ खाली आ रही ट्रेनें, पैदा हो सकती है मजदूरों की कमी की समस्या
क्या है खबर?
लॉकडाउन से बाहर निकलने की कोशिश में लगी सरकारों के लिए सबसे बड़ी चुनौती प्रवासी मजदूरों को काम के लिए वापस शहर बुलाने की होने जा रही है। शहरों की तरफ वापस लौट रही ट्रेनों से इस समस्या की एक बानगी भी मिलती है।
जहां शहरों से ग्रामीण इलाकों की तरफ जा रही ट्रेनें पूरी भरकर चल रही हैं, वहीं वापस लौट रही ट्रेनें आधी से ज्यादा खाली हैं।
आइए आंकड़ों के विश्लेषण के जरिए पूरे मामलों को समझते हैं।
रिपोर्ट
मात्र 30 प्रतिशत क्षमता के साथ लौट रही ट्रेनें
'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई के बांद्रा से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर शहर जाने वाली एक श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन 130 प्रतिशत क्षमता के साथ चली, वहीं गोरखपुर, हावड़ा, दरभंगा, पटना और जयपुर से आने मुंबई आने वाली ट्रेनें औसतन 30 प्रतिशत क्षमता के साथ चलीं।
इसी तरह पुणे से दानापुर (पटना) गई एक श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन 110 प्रतिशत क्षमता के साथ चली, वहीं वापस आने पर इसकी मात्र 39 प्रतिशत सीटें भरी हुई थीं।
सामान्य ट्रेनें
सामान्य ट्रेनों से भी लौट रहे मजदूर
कई प्रवासी मजदूर श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों का इंतजार न कर बड़े शहरों से जाने वाली सामान्य ट्रेनों के जरिए ही वापस लौट रहे हैं और ये ट्रेनें भी भरकर चल रही हैं।
बिकानेर से हावड़ा गई एक ट्रेन 151 प्रतिशत क्षमता और दिल्ली से असम के डिब्रूगढ़ गई एक ट्रेन 140 प्रतिशत क्षमता के साथ चली। वहीं अहमदाबाद से हावड़ा और दरभंगा गई ट्रेनें 130 प्रतिशत क्षमता के साथ पूरी तरह से भरकर चली।
टिकट बुकिंग
बड़े शहरों से जा रही ट्रेनों में बुकिंग के लिए लंबी लाइन
इसके अलावा मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरू और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों से बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जा रही ट्रेनों के लिए टिकटों की बुकिंग के लिए लंबी वेटिंग लाइन है।
मुंबई से वाराणसी के लिए रोजाना चलने वाली एक ट्रेन में 16 जुलाई तक की ट्रेन उपलब्ध नहीं है, वहीं वाराणसी से मुंबई आने वाली एक ट्रेन में गुरूवार की टिकट उपलब्ध है।
इसी तरह सूरत से पटना जाने वाली एक ट्रेन 13 जुलाई तक फुल है।
अन्य ट्रेनें
दिल्ली से जा रही ट्रेनों में भी लंबी वेटिंग लिस्ट
इसी तरह दिल्ली से हर दिन पटना जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेन में टिकट बुक करने के लिए यात्रियों को 23 जून तक इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं वापस लौट रही ट्रेन में समान दिन की टिकट उपलब्ध है।
वहीं दिल्ली से पटना जा रही संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस में अगले महीने तक की वेटिंग लिस्ट है, लेकिन वापस लौटते वक्त की ट्रेन अगले हफ्ते से ही उपलब्ध है।
अन्य ट्रेनों का भी कुछ ऐसा ही हाल है।
बयान
पिछले महीने और ज्यादा था अंतर-अधिकारी
अधिकारियों का कहना है कि केवल शहरों से वापस लौट रही ट्रेनों के भरे होने का ट्रेंड पिछले महीने और ज्यादा था और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही वापस लौट रही ट्रेनें भी भरकर चलेंगी।
एक अधिकारी के अनुसार, "धीरे-धीरे काम पर वापस आने की मांग बढ़ेगी। ट्रेनें चलाना स्थिति सामान्य होने के लिए आत्मविश्वास पैदा करने का हिस्सा है।"
कुछ ट्रेनें दोनों तरफ से ही खाली चल रही हैं।
समस्या
शुरू हो रहे उद्योगों के सामने पैदा होगी मजदूरों की कमी की समस्या
बता दें कि श्रमिक एक्सप्रेस और सामान्य ट्रेनों के जरिए लाखों प्रवासी मजदूर वापस अपने गृह राज्य पहुंचाया जा चुका है। इसके अलावा कई मजदूर पैदल चलकर भी अपने घर पहुंचे हैं।
अब जब लॉकडाउन खत्म होने के बाद देशभर में उद्योग पटरी पर लौट रहे हैं, तब मजदूरों की कमी की आशंका जताई जा रही है। लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को जिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, उसके बाद उनके वापस शहर लौटने की संभावना बेहद कम है।