दुनियाभर में कोरोना वायरस के इलाज की खोज जारी, इन तीन ट्रायल पर सबकी नजरें
दुनियाभर में तबाही मचा रहे नॉवेल कोरोना वायरस के इलाज का पता लगाने के लिए सैकड़ों ट्रायल चल रहे हैं। इनमें पुरानी दवाईयों और थैरेपी के कोरोना वायरस पर प्रभाव से लेकर नई दवाई बनाने तक के ट्रायल शामिल हैं। इनमें से तीन ट्रायल ऐसे हैं जिन पर पूरी दुनिया की नजरें लगी हुई हैं। ये ट्रायल कोन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी, रेमडेसिवीर और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर हो रहे हैं। आइए आपको इनके बारे में विस्तार से बताते हैं।
इलाज की रेस में प्लाज्मा थैरेपी सबसे आगे
कोरोना वायरस के इलाज के तौर पर अभी तक कोन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी सबसे आगे है। इस थैरेपी में कोरोना वायरस को मात दे चुके शख्स के खून से प्लाज्मा निकाला जाता है और उसे संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाता है। प्लाज्मा, खून का एक कंपोनेट होता है। ठीक हो चुके शख्स के खून में SARS-CoV-2 वायरस को मारने वाली एंटीबॉडी बन जाती हैं और प्लाज्मा के जरिये वो एंटीबॉडीज संक्रमित मरीज के शरीर में दाखिल हो वायरस को मारती हैं।
शुरूआती ट्रायल्स में असरदार साबित हुई प्लाज्मा थैरेपी
प्लाज्मा थैरेपी के जरिए किसी बीमारी के इलाज का तरीका बेहद पुराना है और 1890 के दशक से इसका प्रयोग हो रहा है। कोरोना वायरस के मामले में प्लाज्मा थैरेपी का पहला ट्रायल चीन में हुआ था जहां कोरोना के पांच गंभीर मरीजों पर इसे चढ़ाया गया था। ये पांचों मरीज ठीक हो गए थे। इसी तरह दक्षिण कोरिया में भी दो बुजुर्ग मरीजों का इससे सफल इलाज किया गया है। दिल्ली में भी इसके शुरूआती ट्रायल उत्साहवर्धक रहे हैं।
अमेरिका और भारत में चल रहे बड़े ट्रायल
अभी अमेरिका में कोरोना वायरस के मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी के असर को लेकर एक बड़ा ट्रायल चल रहा है। इसके अलावा भारत में भी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) इसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा ट्रायल कर रही है।
कोरोना वायरस के इलाज के लिए दूसरी सबसे बड़ी उम्मीद रेमडेसिवीर दवा
अमेरिकी कंपनी 'गिलियड' की रेमडेसिवीर दवा के ट्रायल पर भी पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। इस दवा को इबोला के खिलाफ प्रयोग के लिए बनाया गया था, लेकिन ये इबोला के खिलाफ बेअसर साबित हुई। अब कोरोना वायरस पर इसके असर का ट्रायल हो रहा है। इसे लेकर अमेरिका में कई ट्रायल चल रहे हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी वैश्विक स्तर पर इसका ट्रायल करने की तैयारी कर रहा है।
अमेरिका में हुए ट्रायल में कोरोना वायरस पर दिखा रेमडेसिवीर का असर
अमेरिका का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीजेस (NIAID) भी रेमडेसिवीर पर बड़े स्तर पर ट्रायल कर रहा है और शुरूआती ट्रायल्स में इसका वायरस पर स्पष्ट असर देखा गया है। NIAID के ट्रायल में 1,000 से अधिक मरीज शामिल हुए और जिन मरीजों को रेमडेसिवीर दी गई, उनकी तबीयत 31 प्रतिशत ज्यादा तेजी से ठीक हुई। ये मरीज 15 के मुकाबले 11 दिन में ठीक हो गए। मरने वालों की संख्या 11 प्रतिशत के मुकाबले आठ प्रतिशत रही।
अमेरिका के शीर्ष वैज्ञानिक ने नतीजों को बताया बहुत अच्छा
अमेरिका के शीर्ष महामारी विशेषज्ञ और 'व्हाइट हाउस' के सलाहकार एंथनी फॉसी ने इस ट्रायल के नतीजों को बहुत अच्छा बताया है। उनका कहना है कि ये दवा एक ऐसे एंजाइम को ब्लॉक करती है जिसका कोरोना वायरस प्रयोग करता है।
भारत की हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के ट्रायल्स पर भी दुनिया की नजरें
मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के कोरोना वायरस पर असर को लेकर हो रहे ट्रायल पर भी दुनिया, विशेषकर भारत, की नजरें हैं। यूं तो अभी तक इस दवा के कोरोना पर असर करने का कोई ठोस वैज्ञानिक सबूत नहीं मिला है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इसे 'गेमचेंजर' बताने के बाद इसकी मांग बढ़ गई है। अभी अमेरिका और भारत में इस दवाई के ट्रायल चल रहे हैं। गौरतलब है कि इस दवाई का निर्माण भारत में होता है।