
बम का हमला भी झेल सकती है भारत पहुंची ट्रंप की 'द बीस्ट' कार, जानें खासियतें
क्या है खबर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 फरवरी को दो दिवसीय दौरे पर भारत आ रहे हैं।
उनके भारत की जमीन पर कदम रखने से पहले ही उनकी बहुचर्चित कार भारत पहुंच चुकी है।
'द बीस्ट' के नाम से जानी जाने वाली इस लिमोजीन कार को विशेष तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए बनवाया जाता है और इसे दुनिया की सबसे सुरक्षित कार माना जाता है।
इस कार में क्या खास है और इसकी क्या-क्या विशेषताएं हैं, आइए आपको बताते हैं।
जानकारी
2018 में आई थी 'द बीस्ट'
ट्रंप की 'द बीस्ट' कार सितंबर, 2018 में सेवा में आई थी और इसने बराक ओबामा की 'कैडिलैक वन' की जगह ली थी। इसका वजह लगभग 9,000 किलोग्राम है और इसे बनाने में करीब 10 करोड़ रुपये का खर्च आया है।
दरवाजे और शीशे
इन चीजों से तैयार किए जाते हैं दरवाजे और शीशे
ट्रंप की इस बेहद सुरक्षित कार के गेट आठ इंच मोटी स्टील, एल्यूमिनियम, टाइटेनियम और सिरेमक से मिलकर बने होते हैं।
वहीं इसके शीशे कांच और पॉली कार्बोनेट की पांच लेयर्स मिलाकर बनाए जाते हैं।
कार की एक विशेष बात ये है कि ड्राइवर की ओर की खिड़की के अलावा अन्य किसी खिड़की का शीशा नीचे नहीं होता है।
ड्राइवर की तरफ की खिड़की का शीशा भी मात्र तीन इंच तक ही खुल सकता है।
कांच का चैंबर
अलग चैंबर में बदली जा सकती हैं सीटें
ट्रंप की इस कार में छह-सात लोग बैठ सकते हैं। इसमें हर एक सीट को कांच के जरिए एक चैंबर में बदला जा सकता है।
इसके अलावा ड्राइवर के केबिन को भी कांच के जरिए पीछे की सीटों से अलग किया जा सकता है और इस तरफ ट्रंप कोई गुप्त बैठक या फोन पर बातचीत भी कर सकते हैं।
सीटों को अलग चैंबर में बदलने का बटन केवल ट्रंप के पास होता है।
अन्य सुविधाएं
सैटेलाइट फोन से लेकर पैनिक बटन तक मौजूद
'द बीस्ट' सैटेलाइट फोन से भी लैस है जो ट्रंप की सीट के पास लगा होता है।
इसके जरिए ट्रंप कभी भी उप राष्ट्रपति या अमेरिका के रक्षा मंत्रालय 'पेंटागन' को फोन लगा कर बातचीत कर सकते हैं।
किसी भी अन्य समस्या की स्थिति में सभी को अलर्ट करने के लिए उनके पास पैनिक बटन भी होता है।
इसके साथ ही आपातकालीन परिस्थितियों के लिए एक ऑक्सीजन सप्लाई बटन भी होता है, जिसका सिलेंडर गाड़ी में ही लगा होता है।
सुरक्षा
बम और केमिकल हमले को भी झेल सकती है कार
अगर सुरक्षा के लिहाज से बात करें तो 'द बीस्ट' दुनिया की किसी भी कार से बेहतर है।
कार के खिड़की, दरवाजे और कांच बुलेट प्रुफ होते हैं।
हमले के समय कार के टैंक में धमाका न हो इसके लिए इसके ईंधन में विशेष तरीके का फोम मिलाया जाता है।
इस पर बम से हमले और बारुदी सुरंगों का भी कोई असर नहीं हो सकता।
इसके अलावा केमिकल हमला भी कार और ट्रंप का कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
बचाव
बचाव के लिए भी कई विकल्प मौजूद
हमले की सूरत में बचाव के लिए कार में आंसू गैस के गोले और मशीनगन मौजूद होती हैं।
इसके अलावा इसमें टीयर गैस सिस्टम, फायर फाइटिंग और नाइट विजन कैमरा भी होता है।
गाड़ी के टायरों को भी खास तरीके से तैयार किया गया है और उनके पंचर होने पर भी कार को बिना संतुलन खोए तेज स्पीड में चलाया जा सकता है।
आपातकाल के लिए गाड़ी में हमेशा ट्रंप के ब्लड ग्रुप वाले खून की पैकेट मौजूद रहती है।
ड्राइवर
किसी फिल्मी एक्शन हीरो से कम नहीं होता ड्राइवर
'द बीस्ट' को अमेरिकी सीक्रेट सर्विस द्वारा प्रशिक्षित किया गया कमांडो चलाता है।
ड्राइवर को हर तरह के हथियार चलाने का प्रशिक्षण मिला होता है और वो हर तरीके की लड़ाई में निपुण होता है।
इसका ड्राइवर किसी भी परिस्थिति में कार चला सकता है और 180 डिग्री के मोड़ लेना उसके लिए बाएं हाथ का खेल है।
ड्राइवर की सुविधा के लिए उसकी सीट के पास हर तरीके के कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस कंट्रोल रुम होता है।
काफिला
14 गाड़ियों के काफिले के साथ चलती है 'द बीस्ट'
इतनी सुरक्षित होने के बावजूद ट्रंप की 'द बीस्ट' 14 गाड़ियों के काफिले में चलती है।
काफिले में शामिल ये कारें अपने आप में कई तरह की खासियतों से युक्त होती हैं और इनमें कमांडो से लेकर सीक्रेट सर्विस तक के लोग शामिल होते हैं।
इसके अलावा कुछ डॉक्टर भी हर समय काफिले में मौजूद रहते हैं।
काफिले के आगे और पीछे आधुनिक उपकरणों से लैस बाइकें चलती हैं जो रास्ते को सुरक्षित करती हैं।