दिल्ली-NCR: लॉकडाउन के बीच नुकसान से बचने के लिए नाले में बहाई हजारों लीटर ताजा बियर
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन लागू है। इस दौरान सिर्फ आवश्यक सेवाओं से जुड़ी दुकानें ही खुल रही हैं। ऐसे में शराब या बियर न मिलने से उनके आदी आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं, वहीं दिल्ली-NCR क्षेत्र में नुकसान से बचने के लिए माइक्रोब्रुअरीज प्लांट ताजा बियर नालों में बहाने को मजबूर हैं। यही कारण है कि कई प्लांटों ने अब तक एक लाख लीटर ताजा बियर नाले में बहा दी है।
ताजा बियर को खराब होने से बचाने में आ रही थी अधिक लागत
ब्रुअरी कंसल्टेंट ईशान ग्रोवर ने बताया कि बोतलों में भरने के लिए जो बियर तैयार की जाती है उसे ताजा बियर कहते हैं। उसे बचाने के लिए प्लांटों को या तो उन्हें बोतलों में भरना पड़ता है या फिर उसे एक निश्चित तापमान पर रखा जाता है। लॉकडाउन के कारण तैयार बियर बोतलों में नहीं भरी जा सकी थीं और अब उसे बचाने पर अधिक लागत आ रही है। ऐसे में प्लांटों को मजबूरी में बियर बहानी पड़ रही है।
किसने बहाई कितनी ताजा बियर
स्ट्राइकर ऐंड सोइ 7 के ललित अहलावत ने अपने गुरुग्राम के साइबर-हब आउटलेट से 5,000 लीटर ताजा बियर नाली में बहा दी। इसी तरह प्रैंकस्टर के प्रमोटर को 3,000 लीटर बियर फेंकनी पड़ी। इन सबके बीच NCR की करीब 50 माइक्रोब्रुअरीज ने अब तक एक लाख लीटर से ज्यादा ताजा बियर बहा दी है। ग्रोवर ने बताया कि बियर को बचाए रखने के लिए अतिरिक्त बिजली और मैनपावर की जरूरत थी। ऐसे में उन्होंने यह कदम उठाया।
लॉकडाउन की घोषणा के दौरान भरी हुई थीं ज्यादातर ब्रुअरीज
ईशान ग्रोवर ने बताया कि देश में लॉकडाउन के घोषणा के दौरान ज्यादातर बियर प्लांट अपनी पूरी क्षमता तक भरे हुए थे। उसके बाद से वो ताजा बियर को बचाने में जुटे थे, लेकिन लॉकडाउन के बढ़ने से उनकी लागत बढ़ने लग गई थी।
बियर कंपनियों ने सरकार से की थी होम डिलीवरी की इजाजत देने की मांग
ग्रोवर ने बताया कि लॉकडाउन में होने वाले नुकसान को देखते हुए बियर कंपनियों ने सरकार से विदेशों की तर्ज पर बियर की होम डिलिवरी करने की इजाजत देने की मांग की थीं, लेकिन सरकार ने इसे नहीं माना। उन्होंने बताया कि हर कोई रेस्टोरेंट से होम डिलीवरी की बात कर रहा है, लेकिन ब्रुअरी मालिकों को ज्यादा नुकसान हो रहा है। यहां तक कि आबकारी विभाग भी सिर्फ शराब की दुकानों को खोलने की बात कर रहा है।
उत्पादन लागत के साथ लाइसेंस फीस और ड्यूटी का भी हुआ नुकसान
लॉकडाउन के कारण ब्रुअरीज को उत्पादन लागत के साथ लाइसेंस फीस और ड्यूटी का भी नुकसान हुआ है। कंपनियों ने सरकार को इसका एडवांस में ही भुगतान कर दिया था। नेशनल रेस्ट्रॉन्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) की गुरुग्राम यूनिट के प्रमुख बंगा ने आबकारी आयुक्त को लिखा है कि अप्रैल में लाइसेंसों के नवीनीकरण की फीस न ली जाएं। उन्होंने बताया कि माइक्रोब्रुअरी लाइसेंस पर ही हर महीने लाखों रुपये का खर्च आता है।
छह महीने टैक्स और ड्यूटी में छूट की मांग
बंगा ने सरकार से छह महीने तक लाइसेंस फीस, ड्यूटी और टेक्स में छूट देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इसके बाद ही वह कर्मचारियों का वेतन दे पाएंगे। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद उबरने में लंबा समय लगेगा।