जम्मू-कश्मीर: 31 सालों में आतंकियों ने ली 1,724 आम नागरिकों की जान, RTI में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
आतंक और आतंकवादियों से सबसे ज्यादा प्रभावित जम्मू-कश्मीर में पिछले 31 सालों में आतंकवादियों ने 1,724 आम नागरिकों की हत्या की है।
हालांकि, इनमें कश्मीरी पंडितों की संख्या महज पांच प्रतिशत रही है, जबकि 95 प्रतिशत लोग मुस्लिम, सिख और अन्य धर्मों से संबंधित थे।
जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत आतंकियों के हाथों जान गंवानें वालों के संबंध में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
RTI
हरियाणा निवासी RTI कार्यकर्ता ने मांगी थी जानकारी
NDTV के अनुसार, हरियाणा के पानीपत निवासी और RTI कार्यकर्ता पीपी कपूर ने नवंबर में पुलिस उपाधीक्षक (हेड क्वार्टर) कश्मीर के यहां RTI दाखिल कर राज्य में आतंकियों का शिकार हुए आम नागरिकों की उनके धर्म के अनुसार जानकारी मांगी थी।
इसके अलावा उन्होंने जम्मू-कश्मीर से पलायन करने वाले लोग और सरकार की ओर से उनकी मदद के लिए किए गए प्रयासों की भी जानकारी मांगी थी। 27 नवम्बर को इसका जवाब उन्हें मिला था।
जवाब
आतंकियों ने 31 सालों में की 1,724 लोगों की हत्या
जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से भेजे गए जवाब में कहा गया है कि साल 1990 से कश्मीर में आतंकवाद शुरू होने के समय से पिछले 31 सालों में आतंकवादियों के हाथों कुल 1,724 लोगों की मौत हुई है।
इनमें से कुल पांच प्रतिशत यानी कुल 89 लोग कश्मीरी पंडित थे, जबकि आतंकवादियों के हाथों जान गंवाने वाले अन्य 95 प्रतिशत यानी 1,635 लोग मुस्लिम, सिख सहित अन्य धर्मों से संबंधित थे। यह हैरान करने वाला डाटा है।
पलायन
आतंकवाद के डर से कश्मीरी पंडितों ने किया सबसे अधिक पलायन
जम्मू-कश्मीर से लोगों के पलायन के संबंध में डिविजनल कमिश्नर कश्मीर कार्यालय की और से भेजी गई जानकारी में बताया गया है कि साल 1990 के बाद से राज्य से कुल 1,54,161 लोगों ने पलायन किया है। इनमें सबसे ज्यादा 88 प्रतिशत यानी 1,35,426 लोग कश्मीरी पंडित हैं।
इसी तरह पलायन करने वालों में अन्य की संख्या महज 12 प्रतिशत रही है। इनमें भी मुस्लिम समुदाय के लोग सबसे अधिक रहे हैं।
सहायता
पलायन करने वालों में सबसे अधिक हिंदुओं को मिल रही सहायता
RTI में पलायन कर चुके किसी भी व्यक्ति के फिर से घर वापसी की सूचना नहीं है। इसी तरह राहत और पुनर्वास आयुक्त जम्मू कार्यालय से प्राप्त सूचना में बताया गया है पलायन करने वाले 1,54,161 लोगों में 18,735 मुस्लिम भी शामिल हैं।
इनमें से 53,978 हिंदुओं, 11,212 मुस्लिमों, 5,013 सिखों और 15 अन्य को सरकारी सहायता मिल रही है।
इसके उलट 81,448 हिंदू, 949 मुस्लिम, 1,542 सिख सहित कुल 83,943 लोगों को सरकारी सहायता नहीं मिल रही है।
सहायता
कश्मीर से पलायन करने वालों को यह दी जाती है सहायता
जम्मू-कश्मीर से पलायन कर चुके प्रत्येक पंजीकृत प्रवासी को प्रतिमाह 3,250 रुपये, नौ किलो चावल, दो किलो आटा और एक किलो चीनी दी जाती है।
केंद्र सरकार ने पिछले 10 सालों में प्रवासी कश्मीरियों की सहायता पर कुल 5,476.58 करोड रुपये खर्च किये गए हैं।
इसमें 1,887.43 करोड़ रुपये नगद सहायता, 2,100 करोड़ का खाद्यान्न, 20.25 करोड़ इंफ्रास्ट्रक्चर, 82.39 करोड़ नागरिक गतिविधियां कार्यक्रम, 106.42 करोड़ सहायता एवं पुनर्वास, 1,156.22 करोड़ पीएम सैलरी पैकेज पर खर्च किए गए हैं।
वापसी
केंद्र सरकार से अनुसार 5,400 से अधिक लोगों की हुई घर वापसी
इससे पहले मार्च में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने संसद को बताया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की गई नौकरियों को लेकर 90 के दशक से अब तक 3,800 प्रवासियों को घर वापसी हुई है।
इसी तरह नवंबर में अन्य गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद को बताया कि उसी योजना के तहत नौकरी लेने के लिए अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद से 1,678 प्रवासी फिर से जम्मू-कश्मीर लौटे थे।