जम्म-कश्मीर: हिरासत में लिए गए "आतंकियों से सहानभूति" रखने वाले 700 से अधिक लोग
क्या है खबर?
अल्पसंख्यकों की हत्या के जवाब में सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में 700 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है। हिरासत में लिए गए ज्यादातर लोगों को "आतंकियों के प्रति सहानभूति" रखने वाला बताया जा रहा है।
इनमें से कई लोगों के प्रतिबंधित समूह जमात-ए-इस्लामी से संबंध हैं या वे संदिग्ध ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGW) हैं। ये लोग श्रीनगर, गांदरबल, बडगाम और दक्षिणी कश्मीर के अन्य क्षेत्रों से संबंध रखते हैं।
बयान
हमलों की कड़ी तोड़ने के लिए हिरासत में लिए गए लोग- पुलिस
जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने NDTV को बताया कि घाटी में आम लोगों पर हमलों की कड़ी को तोड़ने के लिए इन 700 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद से कट्टरपंथ बढ़ा है और ये हमलों का कारण हो सकता है। उन्होंने कहा कि आतंकी "आसान" लक्ष्यों को निशाना बना रहे हैं।
अल्पसंख्यकों पर हमले
कश्मीर में एक हफ्ते में हो चुकी है सात अल्पसंख्यकों की हत्या
बता दें कि कश्मीर में पिछले एक हफ्ते में सात अल्पसंख्यकों की हत्या की जा चुकी है।
गुरूवार को ही आतंकियों ने श्रीनगर के एक सरकारी स्कूल में घुसकर महिला सहित दो शिक्षकों की हत्या कर दी थी। इससे पहले मंगलवार को आतंकियों ने जाने-माने केमिस्ट माखन लाल बिंद्रू (70), एक रेहड़ी लगाने वाला व्यवसायी और एक कैब ड्राइवर को गोली मारी थी।
उससे पहले शनिवार को दो लोगों को निशाना बनाया गया था जिसमें से एक मारा गया।
आतंकी संगठन
हत्याओं के पीछे लश्कर-ए-तैयबा समर्थित समूह का हाथ
कश्मीर में हो रही इन हत्याओं के पीछे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा समर्थित द रजिस्टेंस फोर्स (TRF) का हाथ माना जा रहा है।
गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश के बाद कई राष्ट्रीय एजेंसियों की आतंकरोधी टीमें कश्मीर पहुंच चुकी हैं और स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर अभियान चलाने की तैयारी में हैं।
एजेंसियों का मानना है कि तालिबान के कब्जे और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI को नया बॉस मिलने के बाद आतंकियों में नया जोश भर गया है।
चिंता का विषय
सीमापार से आए हथियार इस्तेमाल कर रहे हैं आतंकी
सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, आतंकी हत्याओं के लिए पिस्तौल इस्तेमाल कर रहे हैं और उनका मानना है कि ये हथियार सीमापार से ड्रोन के जरिये भेजे गए हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने चिंता जताते हुए कहा, "बड़ी चिंता यह है कि पाकिस्तान से संचालित होने वाली जिहादी अफगानिस्तान से अमेरिका में निर्मित स्नाइपर राइफल्स और दूसरे बड़े हथियार कश्मीर में ला सकते हैं।"
गौरतलब है कि अफगान सेना के सारे आधुनिक हथियार तालिबान के कब्जे में आ चुके हैं।
आम लोगों में डर
डर की वजह से घाटी छोड़ रहे पंडित और सिख
इस बीच हत्याओं को लेकर जम्मू-कश्मीर के आम लोगों में रोष और डर दोनों हैं। कैंप में रह रहे दर्जनों कश्मीरी पंडितों ने तो डर की वजह से घाटी छोड़ना शुरू भी कर दिया है। सिख समुदाय के परिवार भी घाटी छोड़ रहे हैं।
दूसरी तरफ हमलों को रोकने में प्रशासन की नाकामी के लिए विपक्षी नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है। फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से घाटी आकर लोगों को आश्वासन देने की अपील की है।