
दिल्ली: भीड़ में उपद्रवियों को पहचानने के लिए फेस रिकगनेशन सिस्टम प्रयोग कर रही पुलिस
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री मोदी ने 22 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली की थी। रैली में आई भीड़ पर नजर रखने के लिए दिल्ली पुलिस ने फेस रिकगनेशन सॉफ्टवेयर (चेहरे की पहचान करने वाले सॉफ्टवेयर) का इस्तेमाल किया था।
यह पहली बार था जब पुलिस ने रैली की भीड़ में से उपद्रवियों की पहचान करने के लिए शहर की अलग-अलग जगहों से इकट्ठा किया गया फेशियल इमेज डाटा का प्रयोग किया था।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
जानकारी
हाई कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने शुरू किया सिस्टम का प्रयोग
लापता हुए बच्चों के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद मार्च, 2018 में दिल्ली पुलिस ने ऑटोमैटिड फेशियल रिकगनेशन सिस्टम (AFRS) शुरू किया था। इसका इस्तेमाल फोटो मिलाकर खोये और पाये हुए बच्चों की पहचान करने के लिए होता है।
फेशियल रिकगनेशन सिस्टम
रैली से पहले तीन बार इस्तेमाल हुआ था AFRS
प्रधानमंत्री की रैली से पहले यह सिस्टम दो बार स्वतंत्रता दिवस और एक बार गणतंत्र दिवस की परेड के मौके पर प्रयोग किया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अभी तक पुलिस ने नियमित आपराधिक जांच के लिए 1.5 लाख हिस्ट्रीशीटर का फोटो डाटासेट तैयार कर लिया है।
इसके अलावा 2,000 आतंकी संदिग्धों की फोटो का डाटा भी तैयार किया गया है। पुलिस अब असामाजिक तत्वों और हुड़दंगियों का डाटा तैयार कर रही है।
सुरक्षा व्यवस्था
रैली की भीड़ पर AFRS से रखी गई नजर
प्रधानमंत्री की रैली के सुरक्षा इंतजामों में लगे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि रैली में भाग लेने आये हर व्यक्ति पर कैमरे के जरिए नजर रखी जा रही थी। कैमरे की फीड कंट्रोल रूम में भेजी जा रही थी।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि AFRS को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के सुरक्षा इंतजामों को देखते हुए शुरू किया गया था। इसमें आतंक के संदिग्धों का डाटाबेस तैयार कर लिया गया है। अब दूसरे अपराधियों का डाटाबेस तैयार होगा।
दिल्ली पुलिस
प्रदर्शनों के दौरान भी यही सिस्टम हो रहा इस्तेमाल
नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में हो रहे प्रदर्शनों की के दौरान भी यह सॉफ्टवेयर प्रयोग कर रही है।
कई पुलिसकर्मी कैमरा लेकर प्रदर्शन की वीडियोग्राफी करते हुए देखे जा सकते हैं। पुलिस पहले भी प्रदर्शनों और भीड़ की वीडियोग्राफी करती रही है, लेकिन अब इसे AFRS के जरिए किया जा रहा है।
अगर पुलिस की डाटा में पहले से मौजूद कोई संदिग्ध भीड़ में दिखता है तो पुलिस उसे दबोच लेती है।
सिस्टम
गलत इस्तेमाल रोकने के लिए पुलिस बरत रही सावधानी
पुलिस ने कहा कि डाटाबेस तैयार करने में पूरी सावधानी बरती जा रही है ताकि इसका गलत इस्तेमाल न हो। डाटाबेस तैयार करते समय किसी नस्ल या धर्म को आधार नहीं बनाया जा रहा है।
दिल्ली पुलिस के पास अभी जो सिस्टम है उसमें तीन लाख चेहरों की तस्वीर स्टोर की जा सकती है।
हालांकि, जरूरत पड़ने पर क्षमता को नौ लाख तक बढ़ाया जा सकता है। दिल्ली की ही एक कंपनी ने यह सिस्टम पुलिस को उपलब्ध कराया है।