सबरीमाला मंदिर मामलाः केंद्रीय मंत्री अल्फोंस बोेले- यहां आपातकाल से भी बुरे हालात
केंद्रीय मंत्री केजेे अल्फोंस ने सबरीमाला मामले को लेकर राज्य की लेफ्ट सरकार पर निशाना साधा है। अल्फोंस ने कहा कि स्थानीय सरकार तानाशाह की तरह बर्ताव कर रही है। उन्होंने कहा कि सबरीमाला मंदिर में जाने वाले श्रद्धालुओं को रोका जा रहा है। यहां हालत आपातकाल से भी बुरे हैं। बिना किसी वजह के यहां धारा 144 लगाई गई है। बता दें कि केंद्रीय पर्यटन मंत्री केजे अल्फोंस केरल के ही रहने वाले हैं।
'श्रद्धालु कोई आतंकवादी नहीं'- अल्फोंस
अल्फोंस ने कहा, सबरीमाला में 1500 पुलिसकर्मियों की क्या जरूरत है? यह लोकतंत्र नहीं है। यह स्टालिन के दौर से भी बुरा दौर है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु कोई आतंकवादी नहीं हैं। उन्होंने राज्य सरकार पर सबरीमाला को युद्ध क्षेत्र में बदलने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने श्रद्धालुओं को तंग करने के लिए पुलिस को खुली छूट दे रखी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविधाओं से वंचित कर रही है।
प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने पर विरोध
सबरीमाला मंदिर के कपाट सोमवार सुबह खोले गए। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे 68 लोगों को तड़के मंदिर परिसर से हिरासत में लिया है। हिरासत में लिए गए लोगों को मनियार शिविर में लाया गया है। जानकारी के मुताबिक, पुलिस इनका सत्यापन कर रही है और इन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है। प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ राज्यभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। बीजेपी ने पुलिस की इस कार्रवाई की न्यायिक जांच की मांग की है।
कांग्रेस ने भी पुलिस कार्रवाई का किया विरोध
बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस ने भी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेेने की कार्रवाई का विरोध किया है। कांग्रेस नेता रमेश चेन्निलता ने इसे पुलिस की मनमानी बताते हुए आरोप लगाया कि राज्य सरकार अयप्पा मंदिर में दर्शन के लिए जाने वाले लोगों को संघ का बताने का प्रयास कर रही है। इससे आरएसएस को लोगों को अपने पाले में खींचने में मदद मिलेगी। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से पूछा कि क्या राज्य में हिटलर का शासन है?
सबरीमाला मंदिर मामले को लेकर कांग्रेस-बीजेपी एक साथ
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जब मंदिर के कपाट खुले तो कई महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की। उनकी इस कोशिश का भारी विरोध हुआ। अब तक 10 साल से 50 साल की उम्र की कोई महिला मंदिर तक नहीं पहुंच पाई है। राज्य सरकार जहां मंदिर में महिलाओं की एंट्री कराने को लेकर अड़ी है, वहीं कांग्रेस और बीजेपी इसे लेकर विजयन सरकार पर हमलावर है। दोनों ने प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई की आलोचना की है।
क्या है सबरीमाला मंदिर विवाद
सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं थी। 2006 में राज्य के यंग लॉयर्स असोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की। 28 सितंबर को इस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दे दी। स्थानीय लोग और कुछ हिंदू संगठन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले और मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे हैं।