कर्नाटक: हिजाब पहनकर आई दो छात्राओं को परीक्षा देने से रोका गया, वापस लौटीं
कर्नाटक में हिजाब पहनने के पक्ष में कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाली दो छात्रों को हिजाब पहनकर परीक्षा नहीं देने दी गई। 12वीं कक्षाओं की इन दोनों छात्राओं को आज बिना परीक्षा दिए केंद्र से लौटना पड़ा। आलिया असादी और रेशम ने उडुपी के पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल से करीब 45 मिनट तक हिजाब पहनकर परीक्षा देने की अनुमति के लिए अनुरोध किया, लेकिन उन्हें यह मंजूरी नहीं मिली। आइये, विस्तार से पूरी खबर जानते हैं।
कैसे हुई थी हिजाब विवाद की शुरुआत?
हिजाब विवाद की शुरूआत 28 दिसंबर को उडुपी के पीयू कालेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने इसे हुई थी। छात्राओं ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया और हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। कई हिंदू छात्रों के विरोध में उतरने से यह विवाद उडुपी से दूसरे जिलों में भी फैल गया। इसी बीच राज्य सरकार ने आदेश दिया कि छात्र और छात्राएं ऐसे कपड़े नहीं पहन सकते, जिससे कानून-व्यवस्था को नुकसान पहुंचता हो।
कर्नाटक में चल रही हैं परीक्षाएं
कर्नाटक में इन दिनों 12वीं कक्षा की परीक्षाएं हो रही हैं। शिक्षा विभाग के अनुसार, 6.84 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं ने परीक्षा के लिए पंजीकरण किया है और पूरे राज्य में 1,076 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। ड्रेस कोड को लेकर हुई घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। परीक्षाओं से पहले कई छात्राओं ने शिक्षा मंत्री से उन्हें हिजाब पहनकर परीक्षा देने की अनुमति मांगी थी।
मुख्यमंत्री से भी किया गया अनुरोध
हिजाब पर बैन लगाने के राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ लड़ाई का प्रमुख चेहरा रहीं 17 वर्षीय आलिया असादी ने पिछले महीने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से भी अपील की थी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'माननीय मुख्यमंत्री जी, आपके पास अभी भी हमारे भविष्य को बर्बाद होने से रोकना का मौका है। आप हमें हिजाब पहनकर परीक्षा देने का फैसला कर सकते हैं। इस पर विचार करें। हम इस देश का भविष्य हैं।'
कोर्ट का इस मामले में क्या फैसला आया है?
इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने पिछले महीने अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि स्कूल ड्रेस लागू करना एक उचित प्रतिबंध है, जिसका छात्र विरोध नहीं कर सकते। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट में लंबित है मामला
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब विवाद पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से दलील देते हुए वकील देवदत्त कामत ने कहा था कि छात्राओं को परीक्षा के दौरान हिजाब पहनने का विकल्प नहीं दिया जा रहा है। छात्राओं को एक साल गंवाना पड़ेगा क्योंकि प्रशासन हिजाब के साथ प्रवेश नहीं दे रहा है। इस पर कोर्ट ने कहा, "इसका परीक्षा से कोई संबंध नहीं है। मामले को सनसनीखेज मत बनाइए।"