पेगासस के इस्तेमाल का निर्णायक सबूत नहीं मिला, सरकार ने नहीं किया सहयोग- सुप्रीम कोर्ट समिति
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने आज पेगासस जासूसी कांड की जांच के लिए गठित की गई समिति की रिपोर्ट का निष्कर्ष सार्वजनिक किया।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना ने कहा कि समिति ने जिन 29 फोन की जांच की, उनमें से मात्र पांच के किसी तरह के मालवेयर से प्रभावित होने के सबूत मिले, हालांकि इस बात का कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला कि ये मालवेयर पेगासस था।
समिति ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने उसके साथ सहयोग नहीं किया।
सार्वजनिक
रिपोर्ट के एक हिस्से को किया जाएगा सार्वजनिक
CJI रमन्ना ने कहा कि रिपोर्ट तीन हिस्सों में जमा की गई है, जिनमें तकनीकी समिति की दो रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस आरवी रविंद्रन के नेतृत्व वाली निगरानी समिति की एक रिपोर्ट शामिल है।
CJI के अनुसार, जस्टिस रविंद्रन की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया जाएगा, वहीं बाकी दो हिस्सों को अभी सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
कुछ याचिकाकर्ताओं ने पहले दो हिस्सों की कॉपी मांगी है, जिस पर CJI विचार करेंगे।
जानकारी
पूरी रिपोर्ट पढ़ने के बाद अपने विचार रखेंगे CJI
CJI ने कहा कि वह पूरी रिपोर्ट को पढ़े बिना कोई अन्य टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं और कल के बाद वह अपने विचार व्यक्त करेंगे। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी और रजिस्ट्री फिक्स तारीख की जानकारी देगी।
जासूसी कांड
क्या है पेगासस जासूसी कांड?
पिछले साल जुलाई में सामने आई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के स्पाईवेयर पेगासस के जरिए देश के कई पत्रकारों, नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और चर्चित हस्तियों की फोन की जासूसी की गई या इसकी कोशिश की गई।
इनमें राहुल गांधी और प्रशांत किशोर समेत विपक्ष के कई नेता, दो केंद्रीय मंत्री, कई संवैधानिक अधिकारी और पत्रकार, अनिल अंबानी और CBI के पूर्व प्रमुख आलोक वर्मा समेत कई नाम शामिल थे।
सुनवाई
राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सरकार ने नहीं दी थी पेगासस इस्तेमाल करने की जानकारी
जासूसी की खबरें सामने आने के बाद पेगासस का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित को देखते हुए सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर इस्तेमाल किया या नहीं, इसकी जानकारी हलफनामे में नहीं दी जा सकती।
इसके बाद अपना फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य हर बार राष्ट्र सुरक्षा की चिंता उठाकर नहीं बच सकता। इसी के बाद कोर्ट ने जांच के लिए समिति का गठन किया था।
पेगासस
न्यूजबाइट्स प्लस
पेगासस सबसे एडवांस्ड स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर्स में से एक है। सबसे पहले इसका पता 2016 में चला था, लेकिन यह 2019 में चर्चा में आया, जब इसकी मदद से दुनियाभर में पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की बात सामने आई।
इसे केवल फोन कॉल या मिस्ड व्हाट्सऐप कॉल से टारगेट के फोन में इंस्टॉल किया जा सकता है। कमांड देने पर यह टारगेट के पासवर्ड, कॉन्टैक्ट, लिस्ट, टेक्सट मैसेज, वॉइस कॉल समेत पर्सनल डाटा ऑपरेटर के पास भेजता रहता है।