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    जजों की नियुक्ति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र से मांगा जवाब 
    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

    जजों की नियुक्ति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र से मांगा जवाब 

    लेखन महिमा
    Sep 26, 2023
    04:52 pm

    क्या है खबर?

    जजों की नियुक्तियों को लेकर एक बार फिर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच टकराव की स्थिति देखने को मिल सकती है।

    मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट्स में जजों की नियुक्ति में देरी पर अपनी चिंता व्यक्त की।

    सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि केंद्र सरकार ने अब तक हाई कोर्ट की सिफारिशों को कॉलेजियम के पास विचार के लिए क्यों नहीं भेजा है।

    मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ कर रही थी।

    जज

    सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? 

    केंद्र सरकार द्वारा नामों की मंजूरी में देरी के आरोप वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कौल की पीठ ने कहा कि वो इस मामले की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

    न्यायमूर्ति कौल ने केंद्र को संबोधित करते हुए कहा, "हाई कोर्ट के 80 नाम 10 महीने की अवधि से लंबित हैं। ये केवल एक बुनियादी प्रक्रिया है। हमें आपका दृष्टिकोण जानना होगा, ताकि कॉलेजियम इस पर कोई निर्णय ले सके।"

    जानकारी

    संवेदनशील हाई कोर्ट्स के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भी लंबित- सुप्रीम कोर्ट

    पीठ ने कहा कि 26 जजों के तबादले और संवेदनशील हाई कोर्ट्स में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति लंबित हैं। न्यायमूर्ति कौल ने कहा, 'मेरे पास जानकारी है कितने नाम लंबित हैं, जिनकी सिफारिश हाई कोर्ट ने की, लेकिन वह कॉलोजियम के पास नहीं पहुंचे हैं।'

    कौल 

    न्यायमूर्ति कौल बोले- आज खुद को रोक रहा हूं, अगली तारीख पर चुप नहीं रहूंगा

    न्यायमूर्ति कौल ने सख्त लहजे में कहा, "मुझे कहना तो बहुत कुछ है, लेकिन मैं खुद को रोक रहा हूं। मैं चुप हूं क्योंकि अटॉर्नी जनरल ने जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा है, लेकिन अगली तारीख पर मैं चुप नहीं रहूंगा।"

    अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कोर्ट से जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा है। पीठ ने उन्हें 2 हफ्ते का समय दिया है। अब इस मामले की सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी।

    सुप्रीम कोर्ट

    जजों की नियुक्ति पर आमने-सामने हैं सरकार और सुप्रीम कोर्ट

    बता दें कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति अधिनियम को रद्द कर दिया था, जिससे जजों की नियुक्ति में केंद्र सरकार की भूमिका सीमित हो गई।

    तब से जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच टकराव जारी है। सरकार का तर्क है कि जजों के चयन में सरकार की भूमिका होनी चाहिए।

    कानून मंत्री रहते हुए किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम पर कई सवाल उठाए थे और इसे एलियन करार दे दिया था।

     न्यूजबाइट्स प्लस 

    कॉलेजियम सिस्टम क्या है?

    कॉलेजियम सिस्टम के तहत भारत में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति की जाती है।

    सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ 4 वरिष्ठतम जजों का यह समहू जजों की नियुक्ति और उनके ट्रांसफर की सिफारिश केंद्र सरकार से करता है।

    हाई कोर्ट कॉलेजियम में मुख्य न्यायाधीश और हाई कोर्ट के 2 वरिष्ठतम जज होते हैं।

    कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिश को मानना सरकार के लिए अनिवार्य है। सरकार कॉलेजियम से केवल पुनर्विचार के लिए कह सकती है।

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