सुप्रीम कोर्ट की प्रदूषण के मामले पर सख्ती, हरियाणा और पंजाब सरकार को लगाई फटकार
दिल्ली-NCR में लगातार बिगड़ रही हवा की गुणवत्ता को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने पराली जलाने वालों के खिलाफ ठोस कार्रवाई न किए जाने को लेकर पंजाब और हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकारों की पर्यावरण संरक्षण में रुचि होती तो दोषियों के खिलाफ कम से कम एक मुकदमा तो होता। सरकारें कम जुर्माना लगाकर लोगों को प्रोत्साहित करने का काम कर रही है।
दिल्ली में खतरनाक स्तर पर पहुंचा AQI
वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। आंकड़ों के अनुसार, जहांगीरपुरी का AQI 417, आनंद विहार का 403 और नजफगढ़ का AQI 400 दर्ज किया गया है। इसे 'गंभीर' स्थिति माना गया है। इसी तरह दिल्ली के अन्य इलाकों में AQI अभी 400 के नीचे है, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। हवा का यह स्तर लोगों को बीमार करने के लिए काफी है।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार से पूछे तीखे सवाल
जस्टिस अभय ओका और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब और हरियाणा सरकार से कई तीखे सवाल पूछे। इनमें पराली जलाने की घटनाएं, की गई कुल कार्रवाई, दर्ज की गई FIR की संख्या, वसूला गया जुर्माना और चलाए गए मुकदमों की जानकारी शामिल थी। इस पर पंजाब सरकार ने 1,510 घटनाएं दर्ज होने और 1,084 FIR दर्ज करने और हरियाणा सरकार ने 600 से अधिक घटनाएं और 93 FIR दर्ज करने की जानकारी दी।
कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को झाड़ा
कोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव से कहा, "आपने 1,080 FIR दर्ज कर केवल 473 लोगों से मामूली जुर्माना वसूल किया है। आप 600 या उससे ज्यादा लोगों को छोड़ रहे हैं। इसी तरह हरियाणा सरकार ने 498 मामलों में से सिर्फ 93 के खिलाफ FIR दर्ज की है, लेकिन मुकदमा किसी पर नहीं चलाया गया।" कोर्ट ने कहा, "अगर राज्य सरकारों की पर्यावरण संरक्षण में रुचि होती तो दोषियों के खिलाफ कम से कम एक मुकदमा तो होता।"
सरकारें लोगों को कर रही है प्रोत्साहित- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हम आपको साफ-साफ बता दें कि आप उल्लंघनकर्ताओं को यह संकेत दे रहे हैं कि उनके खिलाफ कुछ नहीं किया जाएगा। यह पिछले 3 सालों से हो रहा है। हम मामूली जुर्माना लगाने के मामले से भी चिंतित हैं।" कोर्ट ने कहा, "सरकारें इस तरह की मामूली कार्रवाई कर लोगों को ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। यह अब बर्दाश्त से बाहर है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।"
सुप्रीम कोर्ट ने CAQM पर भी जताई नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के प्रति भी नाराजगी जताते हुए कहा, "3 साल से आपके आदेशों की अवहेलना की जा रही है और आप केवल कारण बताओ नोटिस जारी कर रहे हैं?" कोर्ट ने CAQM प्रमुख से कहा कि आदेशों की पालना न करने वाले अधिकारियों के प्रति नरमी न बरतें और सख्त कार्रवाई करें। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अगर राज्य सरकारें और पैनल पर्यावरण की सुरक्षा करना चाहते, तो आज चीजें अलग होती।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया 2 सप्ताह का समय
कोर्ट ने मामले पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को 2 सप्ताह में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) के तहत सख्त नियम बनाने और पालना के लए जिम्मेदार अधिकारियों की करने का आदेश दिया। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को 10 दिन में नियम बनाने और पूरी व्यवस्था लागू करने का आश्वासन दिया। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ कानून के उल्लंघन का मामला नहीं है, बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा से जुड़ा है।