फेक न्यूज के खिलाफ व्यवस्था बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का सरकार और ट्विटर को नोटिस
क्या है खबर?
ट्विटर पर फेक न्यूज और भड़काऊ सामग्री को रोकने के तंत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और ट्विटर को नोटिस जारी किया है और मामले में उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई है।
फर्जी अकाउंट्स के जरिए फैलाई जा रहीं फेक न्यूज और भड़काऊ और देशद्रोही सामग्री के खिलाफ एक प्रभावी तंत्र बनाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये नोटिस जारी किया है।
भाजपा नेता विनीत गोयनका ने यह याचिका दायर की है।
याचिका
संवैधानिक पदाधिकारियों और हस्तियों के नाम पर चले रहे फेक अकाउंट- याचिकाकर्ता
पिछले साल मई में दाखिल की गई अपनी याचिका में गोयनका ने कहा है कि प्रसिद्ध हस्तियों और पदाधिकारियों के नाम पर सैकड़ों फेक ट्विटर और फेसबुक अकाउंट्स चल रहे हैं और इनमें संवैधानिक पदाधिकारियों और हस्तियों की असली तस्वीरों का उपयोग किया जाता है।
गोयनका के अनुसार, इसके कारण आम लोग इन अकाउंट्स से साझा की जाने वाली जानकारी पर भरोसा कर लेते हैं, जो फेक न्यूज फैलने का कारण बनता है।
दलील
याचिका में कहा गया- फेक न्यूज दंगों की मुख्य वजह
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली समेत कई दंगों की मुख्य जड़ फेक न्यूज है और जातिवाद और सांप्रदायिकता फैलाने के लिए फर्जी अकाउंट्स का प्रयोग किया जाता है जो देश की एकता और भाईचारे को खतरे में डालता है।
इसमें बताया गया है कि भारत में ट्विटर के लगभग 3.5 करोड़ और फेसबुक के लगभग 35 अकाउंट्स हैं और विशेषज्ञों के अनुसार इनमें से लगभग 10 प्रतिशत अकाउंट्स नकली या फर्जी हैं।
आरोप
राजनीतिक पार्टियां विरोधियों के खिलाफ करती हैं फेक अकाउंट्स का उपयोग- याचिका
अपनी याचिका में गोयनका ने यह भी कहा है कि विभिन्न राजनीतिक पार्टियां अपने प्रचार और छवि निर्माण के लिए और विरोधियों प्रत्याशियों की छवि को खराब करने के लिए फेक सोशल मीडिया अकाउंट्स का उपयोग करती हैं।
याचिका में कहा गया है कि ट्विटर के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को भी आवेदन दिया गया है, लेकिन अभी तक अधिकारियों ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है।
उदाहरण
याचिका में दिया गया सिख फॉर जस्टिस का उदाहरण
सिख फॉर जस्टिस नामक खालिस्तानी संगठन का उदाहरण देते हुए याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय इस संगठन को 10 जुलाई, 2019 को गैरकानूनी गतिविधियां और रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंधित कर चुका है, लेकिन फिर भी यह ट्विटर पर है और कथित तौर पर नफरत, आतंकवाद और देशद्रोही और आपराधिक गतिविधियों का समर्थन करता है।
याचिका में सोशल मीडिया को सुरक्षित बनाने के लिए सभी अकाउंट्स की KYC करने का सुझाव भी दिया गया है।
जानकारी
ट्विटर पर कार्रवाई के लिए नया कानून बनाने का निर्देश देने का अनुरोध
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से एक ऐसा कानून बनाने का निर्देश जारी करने का अनुरोध भी किया गया है जिसके तहत ट्विटर और भारत में उसके प्रतिनिधियों पर जानबूझकर भारत विरोधी सामग्री को बढ़ावा देने के लिए कार्रवाई की जा सके।
टकराव
पहले से ही आमने-सामने हैं सरकार और ट्विटर
ये नोटिस ऐसे समय पर जारी किए हैं जब 1,300 से अधिक अकाउंट्स को ब्लॉक करने के लेकर सरकार और ट्विटर पहले से ही आमने-सामने हैं।
दरअसल, सरकार ने ट्विटर को किसान आंदोलन से संबंधित कथित भड़काऊ सामग्री साझा करने के लिए इन अकाउंट्स को ब्लॉक करने को कहा है। ट्विटर ने कुछ अकाउंट्स के खिलाफ तो कार्रवाई की है, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए अन्य के खिलाफ कार्रवाई करने से मना कर रहा है।