अदालत की अवमानना मामला: SC का कुनाल कामरा को नोटिस, छह हफ्तों में देना होगा जवाब
क्या है खबर?
अदालत की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन कुनाल कामरा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
कामरा को छह सप्ताह के भीतर इस बात का जवाब देना है कि उनके खिलाफ अवमानना का मामला क्यों न चलाया जाए?
इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फैसला शुक्रवार के लिए सुरक्षित रख लिया था।
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई की थी।
सुनवाई
याचिकाकर्ता का दावा- न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक है कामरा के ट्वीट
गुरुवार को याचिकाकर्चा की तरफ से पेश वकील निशांत आर कटनेश्वर्कर ने कहा का कामरा ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट किए हैं।
कटनेश्वर्कर ने कहा कि कामरा के ट्वीट अपमानजनक है और उन्होंने अदालत की अवमानना का मामला चलाने के लिए अटॉर्नी जनरल से सहमति मांगी है।
उन्होंने बेंच के सामने अटॉर्नी जनरल का वह पत्र भी पढ़ना चाहा, जिसमें कामरा के खिलाफ मामला चलाने की अनुमति दी गई थी, लेकिन कोर्ट ने ऐसा करने से रोक दिया।
जानकारी
कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा को भी नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने कामरा के साथ-साथ कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा को भी कारण बताओ नोटिस भेजा है। उन पर भी न्यायपालिका और जजों के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है। हालांकि, दोनों को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने से छूट दी गई है।
मामला
क्या है कामरा के ट्वीट से जुड़ा पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मुंबई की तलोजा जेल में बंद रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक अर्बन गोस्वामी को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे।
इसके बाद कामरा ने सुप्रीम कोर्ट और जजों को लेकर कुछ ट्वीट्स किए थे।
कई लोगों ने इन ट्वीट्स को अपमानजनक मानते हुए उनके खिलाफ अदालत की अवमानना चलाने के लिए अटॉर्नी जनरल से इजाजत की मांग की थी।
जानकारी
कामरा के किन ट्वीट्स पर मचा था बवाल?
कामरा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दो ट्वीट किए थे। इनमें उन्होंने लिखा था, 'बिल्डिंग (सुप्रीम कोर्ट) के प्रति सम्मान बहुत पहले ही जा चुका है। इस देश का सुप्रीम कोर्ट आज देश का सुप्रीम जोक बन चुका है।'
मामला
कार्यवाही के लिए अटॉर्नी जनरल को मिले थे आठ से ज्यादा पत्र
बताया जा रहा है कि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को कामरा के खिलाफ अदालत की आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग वाले आठ से ज्यादा पत्र मिले थे।
इस कार्यवाही की इजाजत देते हुए अटॉर्नी जनरल ने लिखा, "मुझे लगता है कि आज लोग मानते हैं कि वे देश के सुप्रीम कोर्ट और उसके जजों की साहसपूर्व निंदा कर सकते हैं और उन्हें लगता है कि यह उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।"
क्या आप जानते हैं?
दो तरह की होती है अदालत की अवमानना
अदालत की अवमानना दो तरह की होती है। पहली दीवानी अवमानना (सिविल कंटेप्ट) और दूसरी आपराधिक अवमानना (क्रिमिनल कंटेप्ट) होती है। दीवानी अवमानना अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 के सेक्शन 2(बी) और आपराधिक अवमानना सेक्शन 2 (सी) के तहत आती है।
अदालत की अवमानना
दीवानी अवमानना में क्या आता है?
दीवानी अवमानना में पीड़ित पक्ष अदालत को इस बारे में सूचित करती है। फिर अदालत उस व्यक्ति को नोटिस जारी करती है, जिस पर अदालत के आदेश, निर्देश और डिक्री का पालन कराने की जिम्मेदारी होती है।
वहीं अगर कोई व्यक्ति जान-बूझकर अदालत के आदेश का उल्लंघन करता है तो उस पर भी दीवानी अवमानना का मामला चलाया जा सकता है।
अवमानना का दोषी पाए जाने पर छह महीने की सजा या 2,000 रुपये का या दोनों हो सकते हैं।
अदालत की अवमानना
आपराधिक अवमानना का मामला कब बनता है?
वहीं अगर व्यक्ति अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देता है, या उसकी प्रतिष्ठा धूमिल करने, या उसके मान-सम्मान को नीचा दिखाने की कोशिश, या अदालती कार्रवाई में दखल देता, खलल डालता है तो यह अदालत की आपराधिक अवमानना का मामला बनता है।
इस इस तरह की हरकत चाहे लिखकर की जाए या बोलकर या फिर अपने हाव-भाव से ऐसा किया जाए ये अदालत की आपराधिक अवमानना में माना जाएगा।