ट्रांसजेंडर, समलैंगिक और यौनकर्मियों को रक्तदान से बाहर रखने पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ट्रांसजेंडर, समलैंगिक व्यक्तियों और यौनकर्मियों को रक्तदान से बाहर रखने के केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की।
इस दौरान कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया। साथ ही राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन और राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद से भी जवाब मांगा।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने यह आदेश शरीफ डी रंगनेकर की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
विवाद
क्या है मामला?
11 अक्टूबर, 2017 को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद (NBTC) और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) ने रक्तदाता चयन और रक्तदाता रेफरल पर दिशानिर्देश जारी किए थे।
दिशानिर्देश में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, महिला यौनकर्मियों और पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों को रक्तदाता बनने से स्थायी रूप से प्रतिबंधित किया गया है।
बहिष्कार इस आधार पर किया गया कि ट्रांसजेंडर, समलैंगिक पुरुष और यौनकर्मी गंभीर यौन संचारित रोगों (STD) के जोखिम में हैं।
याचिका
याचिका में क्या दी गई है दलील?
अधिवक्ता इबाद मुश्ताक के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि इस तरह का पूर्ण प्रतिबंध भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 17 और 21 के तहत संरक्षित समानता, सम्मान और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।
इसके अलावा याचिका में तर्क दिया गया है कि ये दिशानिर्देश अमेरिका में 1980 के दशक में समलैंगिक पुरुषों के बारे में अत्यधिक पूर्वाग्रही और अनुमानित दृष्टिकोण पर आधारित हैं। हालांकि, इस पर अब विचार हुआ है।