
महिलाओं को NDA में प्रवेश नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और अकादमी को नोटिस
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) और नौसेना अकादमी में प्रवेश न देने के खिलाफ दायर एक जयहित याचिका पर सुनवाई की।
इसमें शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और NDA को नोटिस जारी करते हुए जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
बता दें वर्तमान में महिलाओं को पात्रता पूरी करने के बाद भी NDA और नौसेना अकादमी में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है। इस पर काफी समय से विवाद चल रहा है।
याचिका
अधिवक्ता कुश कालरा ने दायर की थी याचिका
बता दें कि महिलाओं को NDA और नौसेना अकादमी में प्रवेश नहीं दिए जाने के खिलाफ अधिकक्ता कुश कालरा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
याचिका में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित परीक्षा के माध्यम से पात्र महिलाओं को NDA और नौसेना अकादमी में प्रवेश नहीं देने के निर्णय को चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि सरकार का यह रुख लिंग समानता के मौलिक अधिकार का पूरी तरह उल्लंघन है।
जानकारी
याचिकाकर्ता ने दिया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला
याचिकाकर्ता कालरा ने कहा कि उन्होंने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के फरवरी 2020 में दिए गए उस फैसले को लेकर दायर की है, जिसमें कहा गया था कि सेना में महिलाओं की कम नौकरी भी उन्हें स्थायी कमीशन के लिए पात्र बनाता है।
दलील
जेंडर के आधार पर बहिष्कार महिलाओं के समान अधिकारों का उल्लंघन
याचिकाकर्ता कालरा ने दलील दी कि महिलाओं को NDA में प्रशिक्षित करके स्थायी कमीशन अधिकारी के रूप में तैयार करने और देश के सशस्त्र बलों में शामिल करने में उन्हें जेंडर के आधार पर रोकना मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और भारतीय संविधान के दायरे में यह उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ भेदभाव नही होना चाहिए। दिवंगत रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी महिलाओं को NDA में भर्ती किए जाने की वकालत की थी।
अनुमति
महिलाओं को जेंडर के आधार पर नहीं दी जाती परीक्षा में बैठने की अनुमति
याचिकाकर्ता कालरा ने कहा कि सेना अधिकारी अविवाहित पुरुष उम्मीदवारों को NDA और नौसेना अकादमी परीक्षा में बैठने के लिए 12वीं परीक्षा की योग्यता रखते हैं, जबकि पात्र और इच्छुक महिला उम्मीदवारों को उनके जेंडर के आधार पर परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाता है। उनके लिए स्नातक परीक्षा की योग्यता निर्धारित कर रखी है। संविधान में भी इस पर कोई उचित या न्यायसंगत स्पष्टीकरण नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह नियम महिलाओं को अपमानित करने के समान है।
उम्र
15-18 वर्ष की आयु में सेना में शामिल हो सकते हैं पुरुष अभ्यर्थी- कालरा
याचिकाकर्ता कालरा ने कहा कि UPSC द्वारा NDA और नौसेना अकादमी में प्रवेश के लिए परीक्षा आयोजित की जाती है। इसमें पात्रता मानदंड के अनुसार आवश्यक शैक्षणिक योग्यता वाला कोई भी अविवाहित पुरुष अभ्यर्थी और 15-18 वर्ष के बीच की आयु के अभ्यर्थी इसमें भाग ले सकते हैं, लेकिन महिलाएं ऐसा नहीं कर सकती है।
उन्होंने कहा कि पुरुष अभ्यर्थी तो काफी कम उम्र में सेना में चले जाते हैं, लेकिन इच्छुक महिलाओं को रोक दिया जाता है।
नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब
मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने केंद्र सरकार, NDA को नोटिस जारी करते हुए जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।
इसके अलावा कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की एक महिला को भी कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दी है। उसने कोर्ट को बताया था कि सेना में एक अधिकारी के रूप में सेवा करने का उसका सपना भेदभावपूर्ण नियम के कारण बहुत छोटा रह गया था।