अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट का आदेश, 15 अगस्त तक समाधान ढूढ़ें मध्यस्थ
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अयोध्या विवाद पर सुनवाई करते हुए मध्यस्थता समिति को मामले का समाधान निकालने के लिए 15 अगस्त तक का समय दिया है। अपनी अंतरिम रिपोर्ट में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति ने कोर्ट से समाधान खोजने के लिए और वक्त मांगा था। बता दें कि 8 मार्च को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को मध्यस्थता के जरिए बनी आम सहमति से सुलझाने का फैसला दिया था।
7 मई को समिति ने जमा की थी अंतरिम रिपोर्ट
तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति में पूर्व न्यायाधीश फकीर मोहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला, 'आर्ट ऑफ लिविंग' के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू को शामिल किया गया है। इस समिति ने 7 मई को अपनी अंतरिम रिपोर्ट जमा की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया। सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने मामले में हुई प्रगति के बारे में बताने से इनकार करते हुए कहा कि यह गोपनीय मामला है।
अब 15 अगस्त के बाद होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने दिया था मध्यस्थता पर गोपनीयता बनाए रखने का आदेश
बता दें कि मध्यस्थता समिति का गठन करने वक्त सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता प्रक्रिया में पूरी गोपनीयता बनाए रखने का आदेश दिया था। इस दौरान मीडिया में इससे संबंधित कोई भी खबर लीक न करने की भी बात कही गई थीं। कोर्ट ने मध्यस्थता की सारी बैठकें फैजाबाद में करने और उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग करने का आदेश दिया था। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह खुद मध्यस्थता प्रक्रिया की निगरानी करेगी।
इस कारण कोर्ट ने दिया था मध्यस्थता का फैसला
मध्यस्थता के जरिए मामला सुलझाने का फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये केवल जमीन से जुड़ा मुद्दा नहीं है, बल्कि लोगों की भावनाओं और आस्था से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने कहा था कि स्थाई समाधान के लिए विवाद को आपसी सहमति से सुलझाना अच्छा रहेगा। इस बीच कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इतिहास में जो हुआ उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है, हम केवल वर्तमान में जो है उसे बदल सकते हैं।
कई मसलों पर एक साथ सुनवाई कर रही कोर्ट
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है। उनके अलावा न्यायाधीश एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और अब्दुल नजीर सुनवाई कर रही बेंच में शामिल हैं। बेंच राम मंदिर-बाबरी मस्जिद की विवादित 2.77 एकड़ जमीन के अलावा गैर-विवादित 67.03 एकड़ जमीन को उसके मूल मालिकों को लौटाने की केंद्र सरकार की याचिका और अन्य संबंधित मसलों पर एक साथ सुनवाई कर रही है।