सुप्रीम कोर्ट का फैसला, आपसी सहमति के जरिए सुलझेगा अयोध्या विवाद
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्य विवाद पर सुनवाई करते हुए फैसला किया कि स्थाई समाधान के लिए विवाद को आपसी सहमति (मध्यस्थता) के जरिए सुलझाया जाएगा। कोर्ट ने इसके लिए 3 सदस्यीय मध्यस्थता समिति तय की। पूर्व न्यायाधीश खलीफुल्ला इस समिति के चेयरमैन होंगे। इसके अलावा श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू समिति के सदस्य होंगे। मध्यस्थता प्रक्रिया की निगरानी खुद सुप्रीम कोर्ट करेगा। समिति की सारी बैठकें फैजाबाद में होंगी और इनकी वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी।
मध्यस्थता के दौरान रहेगी गोपनीयता
मध्यस्थता प्रक्रिया गोपनीय रहेगी और सभी पक्षों को इसका पालन करने को कहा गया है। इस दौरान मीडिया रिपोर्टिंग पर भी पाबंदी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया 4 हफ्ते के अंदर शुरु होगी और 8 हफ्ते के अंदर खत्म हो जाएगी।
अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
यूपी सरकार को मध्यस्थों को हर सुविधा देने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मध्यस्थता समिति के सदस्य चाहें तो कुछ सहयोगी रख सकते हैं। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मध्यस्थों को फैजाबाद में हर सुविधा देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि मध्यस्थों को अगर जरूरत पड़ती है तो वह आगे कानूनी सहायता ले सकते हैं। बता दें कि मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच कर रही है।
कानूनी सहायता ले सकते हैं मध्यस्थ
मध्यस्थता पर नहीं थी आम सहमति
बुधवार को अपनी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को मध्यस्थता के जरिए बनी आपसी सहमति से सुलझाने को कहा था। कोर्ट ने कहा था, "यह केवल जमीन से जुड़ा मुद्दा नहीं है, बल्कि लोगों की भावनाओं और आस्था से जुड़ा हुआ है।" कोर्ट ने कहा था कि स्थाई समाधान के लिए विवाद को आपसी सहमति से सुलझाना अच्छा रहेगा। मुस्लिम पक्ष ने प्रस्ताव का समर्थन किया था, वहीं हिंदू पक्ष ने मध्यस्थता पर असहमति जताई थी।