सुप्रीम कोर्ट का फैसला, आपसी सहमति के जरिए सुलझेगा अयोध्या विवाद
क्या है खबर?
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्य विवाद पर सुनवाई करते हुए फैसला किया कि स्थाई समाधान के लिए विवाद को आपसी सहमति (मध्यस्थता) के जरिए सुलझाया जाएगा।
कोर्ट ने इसके लिए 3 सदस्यीय मध्यस्थता समिति तय की। पूर्व न्यायाधीश खलीफुल्ला इस समिति के चेयरमैन होंगे। इसके अलावा श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू समिति के सदस्य होंगे।
मध्यस्थता प्रक्रिया की निगरानी खुद सुप्रीम कोर्ट करेगा।
समिति की सारी बैठकें फैजाबाद में होंगी और इनकी वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी।
जानकारी
मध्यस्थता के दौरान रहेगी गोपनीयता
मध्यस्थता प्रक्रिया गोपनीय रहेगी और सभी पक्षों को इसका पालन करने को कहा गया है। इस दौरान मीडिया रिपोर्टिंग पर भी पाबंदी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया 4 हफ्ते के अंदर शुरु होगी और 8 हफ्ते के अंदर खत्म हो जाएगी।
ट्विटर पोस्ट
अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Justice Khaliifulah (Retd) to be the chairman, for court appointed and monitored mediation for a “permanent solution” https://t.co/dwj6ZiNYun
— ANI (@ANI) March 8, 2019
आदेश
यूपी सरकार को मध्यस्थों को हर सुविधा देने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मध्यस्थता समिति के सदस्य चाहें तो कुछ सहयोगी रख सकते हैं।
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मध्यस्थों को फैजाबाद में हर सुविधा देने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि मध्यस्थों को अगर जरूरत पड़ती है तो वह आगे कानूनी सहायता ले सकते हैं।
बता दें कि मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच कर रही है।
ट्विटर पोस्ट
कानूनी सहायता ले सकते हैं मध्यस्थ
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says, mediators can co-opt more on the panel if necessary. Uttar Pradesh government to provide mediators all the facilities in Faizabad. Mediators can seek further legal assistance as and when required.
— ANI (@ANI) March 8, 2019
मध्यस्थता
मध्यस्थता पर नहीं थी आम सहमति
बुधवार को अपनी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को मध्यस्थता के जरिए बनी आपसी सहमति से सुलझाने को कहा था।
कोर्ट ने कहा था, "यह केवल जमीन से जुड़ा मुद्दा नहीं है, बल्कि लोगों की भावनाओं और आस्था से जुड़ा हुआ है।"
कोर्ट ने कहा था कि स्थाई समाधान के लिए विवाद को आपसी सहमति से सुलझाना अच्छा रहेगा।
मुस्लिम पक्ष ने प्रस्ताव का समर्थन किया था, वहीं हिंदू पक्ष ने मध्यस्थता पर असहमति जताई थी।