हरियाणा: रोहतक में किसान आंदोलन के समर्थन में शिक्षक ने की आत्महत्या
क्या है खबर?
तीन कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में आत्महत्या करने वालों में अब एक शिक्षक का भी नाम जुड़ गया है।
मंगलवार को हरियाणा के रोहतक में आंदोलन के समर्थक शिक्षक ने किसानों की मांगे नहीं माने जाने से आहत होकर जहर का सेवन कर लिया।
तबीयत बिगड़ने पर उसे PGIMS अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया।
जानकारी
मौत से पहले सोशल मीडिया पर अपलोड किया वीडियो
NDTV के अनुसार रोहतक के पुलिस अधीक्षक (SP) गोरखपाल ने कहा कि मृतक शिक्षक मुकेश कुमार (45) है। वह पिछले काफी समय से किसान आंदोलन का समर्थन कर रहा था।
उन्होंने बताया कि मुकेश ने गंभीर कदम उठाने से पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी अपलोड किया।
इसमें उसने केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में एकजुटता दिखाने का संदेश दिया था। इसके बाद उसने जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया।
कार्रवाई
वीडियो देखने के बाद हरकत में आई पुलिस
SP ने बताया कि सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए वीडियो में मुकेश ने आत्महत्या जैस कदम उठाने का संकते दिया था। इसके बाद पुलिस हरकत में आ गई और पोस्ट के आधार पर उसकी लोकेशन को ट्रेस कर लिया।
उन्होंने बताया कि पुलिस के मुकेश के घर पहुंचने से पहले ही उसने जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया था। इसके बाद पुलिस ने परिजनों की मदद से उसे PGIMS अस्पताल पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
कारण
किसानों की मांगे नहीं माने जाने से दुखी होकर उठाया कदम
SP ने बताया कि मुकेश में वीडियो में कहा था कि वह किसानों का समर्थन है, लेकिन लंबे समय बाद भी उनकी मांगे नहीं माने जाने से वह बहुत दुखी था। ऐसे में वह आत्महत्या जैसा कदम उठा रहा है।
उसने वीडियो में किसानों का समर्थन करने वाले हरियाणा के राजनेताओं का भी अभार जताया।
इधर, मुकेश के भाई ने बताया कि आंदोलन के दौरान वह कई बाद दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे धरनों में भी शामिल हुआ था।
आत्मत्या
कई किसान कर चुके हैं आत्महत्या
बता दें कि किसान आंदोलन में पहले भी कई किसान आत्महत्या कर चुके हैं। 7 मार्च को आंदोलन में शामिल हिसार के सिसाय गांव निवासी राजबीर सिंह (49) ने टिकरी बॉर्डर के पास एक पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
उनसे पहले आंदोलन में शामिल पंजाब के वकील अमरजीत सिंह भी जहर खाकर आत्महत्या कर चुके हैं।
इसी तरह जींद निवासी करमवीर सिंह ने 6 फरवरी को टिकरी बॉर्डर पर पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
अन्य
ये किसान भी कर चुके हैं आत्महत्या
9 जनवरी को पंजाब के अमरिंदर सिंह ने भी सिंघु बॉर्डर पर जहर खाकर अपनी जान दे दी थी। वहीं उत्तर प्रदेश के कश्मीर सिंह लाडी ने 2 जनवरी को गाजीपुर बॉर्डर पर आत्महत्या कर ली थी।
इससे पहले दिसंबर की शुरूआत में राम सिंह नामक एक 65 वर्षीय सिख संत ने सिंघू बॉर्डर के पास खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।
इसके कुछ दिन बाद एक 22 वर्षीय किसान ने भी बठिंडा में आत्महत्या कर ली थी।
पृष्ठभूमि
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए सितंबर, 2020 में तीन कानून लेकर लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।