किसान आंदोलन: दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में 6 फरवरी को नहीं होगा चक्का जाम- टिकैत
क्या है खबर?
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने 6 फरवरी को तीन घंटों के लिए देशभर में चक्का जाम का आह्वान किया है।
हालांकि, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं किया जाएगा।
चक्का जाम से एक दिन पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कल उत्तर प्रदेश और दिल्ली को छोड़कर पूरे देश में चक्का जाम होगा। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में किसान संगठन जिलाधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर विरोध दर्ज कराएंगे।
मामला
चक्का जाम क्यों कर रहे हैं किसान?
चक्का जाम का आह्वान करने वाले संयुक्त किसान मोर्चे का कहना है कि पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर हुई ट्रैक्टर परेड के बाद किसानों के कई ट्रैक्टरों और दूसरे वाहनों को जब्त कर लिया है।
साथ ही दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शनस्थलों को पूरी तरह सील किया जा रहा है। इन जगहों पर पानी की आपूर्ति रोक दी गई है और इंटरनेट सेवा बंद है।
इसका विरोध करने के लिए किसानों ने चक्का जाम का आह्वान किया है।
चक्का जाम
12-3 बजे तक होगा चक्का जाम
चक्का जाम के बारे में बताते हुए भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के प्रमुख मंजीत सिंह राय ने कहा कि किसान इसके जरिये अपनी एकजुटता दिखा रहे हैं। पूरा देश किसानों के साथ है और किसानों को सरकार को अपनी ताकत दिखानी है।
किसान नेताओं का कहना है कि शांतिपूर्ण तरीके से 6 फरवरी को दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे तक चक्का जाम किया जाएगा। सिंघु बॉर्डर से इसकी मॉनिटरिंग और कॉर्डिनेशन होगा।
चक्का जाम
नेशनल और स्टेट हाइवेज को जाम करेंगे किसान
चक्का जाम के तीन घंटों के दौरान प्रदर्शनकारी किसान नेशनल और स्टेट हाइवेज को जाम करेंगे और गाड़ियों की आवाजाही को रोकेंगे।
3 बजे चक्का जाम खत्म होने के समय सभी किसान एक मिनट तक अपने वाहनों के हॉर्न बजाएंगे।
किसान नेताओं का कहना है कि चक्का जाम के दौरान जाम में फंसने वाले वाहनों में सवार लोगों को किसान संगठन मूंगफली, चना, पानी, फल, खाना समेत अन्य दूसरी चीजें देंगे।
किसान आंदोलन
आंदोलन क्यों कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार ने पिछले साल कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून पारित किए थे।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।