ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में मिला त्रिशूल, डमरू और शेषनाग की आकृति- पूर्व कोर्ट कमिश्नर
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में गत दिनों कराए गए वीडियो सर्वे की रिपोर्ट गुरुवार को सील बंद लिफाफे में कोर्ट को सौंप दी गई है। यह रिपोर्ट कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने जमा कराई है। इसी तरह कमीशन के बीच हटाए गए पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा ने भी अपनी दो पन्नों की रिपोर्ट जमा कराई है। इसमें उन्होंने मस्जिद में शेषनाग की आकृति , हिंदू देवी-देवताओं की आकृतियां, त्रिशूल, डमरू और कमल के अवशेष मिलने का दावा किया है।
पूर्व कोर्ट कमिश्नर ने क्या किया है दावा?
पूर्व कोर्ट कमिश्नर मिश्रा ने रिपोर्ट में कहा है कि मजिस्द में मंदिर का मलबा मिला है और उत्तर से पश्चिम की तरफ चलते हुए दीवार के बीच मिले शिलापट पर शेषनाग के फन की आकृति भी मिली है। इसी तरह पश्चिम दीवार के कोने पर पुराने मंदिरों का मलबा भी मिला है, जो करीब 500-600 साल पुराना लगता है। इस मलबे के शिलापट्टों पर हिंदू देवी-देवताओं की कलाकृतियां, त्रिशूल, डमरू और कमल के फूल की आकृतियां भी मिली हैं।
शिलापट्ट पर सिंदूरी रंग की उभरी हुई कलाकृति मिलने का भी दावा
पूर्व कोर्ट कमिश्नर मिश्रा ने रिपोर्ट में उत्तर-पश्चिमी कोने में गिट्टी-सीमेंट से चबूतरे का नया निर्माण, शिलापट्ट पर सिंदूरी रंग की उभरी हुई कलाकृति मिलने का भी दावा किया है। इनमें चार मूर्तियों की आकृति पर सिंदूरी रंग लगा हुआ है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चौथी आकृति पर सिंदूर का मोटा लेप लगा हुआ है। जमीन पर मिले शिलापट्ट काफी पुराने लग रहे थे और उनके किसी बड़े भवन के खंडित अंश होने की संभावना है।
शृंगार गौरी मंदिर की चौखट के अवशेष होने का दावा
रिपोर्ट में लिखा गया है कि मस्जिद की बेरिकेडिंग के बाहर मिली सिंदूर लगी कलाकृति और चौखट को हिंदू पक्ष की शृंगार गौरी मंदिर की चौखट का अवशेष बता रहे हैं। उनकी कलाकृतियों के प्रतीक को ही फिलहाल शृंगार गौरी मानकर पूजा की जाती है।
पूर्व कोर्ट कमिश्नर ने किया था मस्जिद के बाहरी क्षेत्र का सर्वे
9 अप्रैल को वाराणसी की कोर्ट ने एक याचिका पर अजय मिश्रा को मस्जिद परिसर का सर्वे और वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया था। इस पर मिश्रा ने 6 मई को सर्वे शुरू किया गया था, लेकिन अगले ही दिन मस्जिद कमेटी के विरोध के कारण इसे बंद करना पड़ा था। उस दौरान मिश्रा ने मस्जिद के बाहरी क्षेत्र का ही सर्वे किया था और उन्हें अंदर जाने से रोक दिया गया था। उन्होंने इसी सर्वे की रिपोर्ट सौंपी है।
पूर्व कोर्ट कमिश्नर ने प्रशासन पर लगाया सहयोग न करने का आरोप
पूर्व कोर्ट कमिश्नर मिश्रा ने अपनी रिपोर्ट में सरकार और स्थानीय प्रशासन पर सहयोग न करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश पर सभी पक्षकारों के साथ 6 मई को सर्वे शुरू किया गया था। 7 मई को दोपहर 3 बजे मुस्लिम पक्ष के विरोध के कारण सर्वे को रोकना पड़ा था। उस दौरान प्रतिवादी प्रदेश सरकार, जिला कलक्टर, पुलिस आयुक्त ने कोई सहयोग नहीं किया और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने से बचते रहे।
कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह की रिपोर्ट में भी दावों का समर्थन
विशेष कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह की द्वारा जमा कराई गई रिपोर्ट में मिश्रा के दावों का समर्थन है। उनकी रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद में सनातन संस्कृति के कई लक्षण मौजूद थे। तहखाने की दीवारों पर कमल, डमरू, त्रिशूल के चित्र मिले हैं।
कैसे हुई थी मामले की शुरुआत?
मामले की शुरूआत वाराणसी कोर्ट में दिल्ली की पांच महिलाओं की याचिका के साथ हुई। उन्होंने मस्जिद परिसर में मौजूद मां शृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और अन्य देवी-देवताओं के दर्शन, पूजा और भोग की इजाजत साल भर के लिए मांगी थी। उन्होंने मस्जिद परिसर में मौजूद कुएं में शिवलिंग होने का दावा करते हुए मूर्तियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए सर्वे की मांग की थी। इस पर कोर्ट ने वीडियो सर्वे का आदेश दिया था।
सर्वे में मस्जिद के तालाब में शिवलिंग मिलने का दावा
वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद 16 मई को मस्जिद का वीडियो सर्वे किया गया था। सर्वे के बाद याचिकाकर्ता के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने मस्जिद में स्थित तालाब में शिवलिंग मिलने का दावा किया था। हालांकि, मस्जिद कमेटी ने इस दावे को खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ 17 मई को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में कोर्ट ने सर्वे रोकने से इनकार करते हुए शिवलिंग वाली जगह को सील करने और सुरक्षा बढ़ाने का आदेश दिया था।
वाराणसी कोर्ट ने अजय मिश्रा पर की थी कार्रवाई
इससे पहले वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे और वीडियोग्राफी के लिए तैनात किए गए कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को प्रक्रिया से हटा दिया था। मिश्रा पर मीडिया में सर्वे से संबंधित जानकारी लीक करने का आरोप लगने और काम में रुचि नहीं लेने को लेकर यह कार्रवाई की गई थी। उसके बाद मिश्रा ने कहा था कि उन्होंने पूरी ईमानदारी के काम किया है और विशाल सिंह की शिकायत के आधार पर ही उनके खिलाफ कार्रवाई हुई है।