आजाद भारत में फांसी चढ़ने वाली पहली महिला हो सकती है सात लोगों की हत्यारिन शबनम
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में प्यार में पागल होकर अपने प्रेमी के साथ माता-पिता सहित परिवार के सात लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या करने वाली शबनम और उसका प्रेमी सलीम फांसी के फंदे के बिल्कुल करीब पहुंच गए हैं। रामपुर जेल प्रशासन ने न्यायालय से उसका डेथ वारंट जारी करने की अपील करते हुए फांसी की तैयारी शुरू कर दी है। यदि उसे फांसी होती है तो वह आजाद भारत में फांसी चढ़ने वाली पहली महिला होगी।
शबनम के प्यार के खिलाफ था परिवार
TOI के अनुसार अमरोहा के बावनखेड़ी निवासी शिक्षक शौकत अली की इकलौती बेटी शबनम के सलीम के साथ प्रेम संबंध थे। शबनम ने अंग्रेजी और भूगोल में MA किया था और परिवार के पास काफी जमीन थी। वहीं सलीम पांचवीं फेल था और मजदूरी करता था। ऐसे में शबनम का परिवार इसे बेमेल प्यार के खिलाफ था। बार-बार समझाने पर भी परिजनों के नहीं मानने पर शबनम ने परिवार को ही रास्ते से हटाने का मन बना लिया।
परिवार के सदस्यों को नींद की गोलिया देकर कुल्हाड़ी से काटा
शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर परिजनों को रास्ते से हटाने की योजना बनाई। 14 अप्रैल, 2008 की रात शबनम ने अपने माता-पिता और 10 माह के भतीजे सहित परिवार के सात सदस्यों को खाने में नींद की गोलियां देकर बेहोश कर दिया। इसके बाद उसने सलीम के साथ मिलकर सभी की बेरहमी से कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी। बाद में शबनम ने शोर मचाकर बदमाशों द्वारा वारदात को अंजाम देने की बात कही।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुलिस को शबनम पर हुआ शक
पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया तो शरीर में नशीला पदार्थ होने की पुष्टि हुई है। इसी तरह घर में लूट से संबंधित कोई सुराग नहीं मिले थे। इस पर पुलिस का शबनम पर शक हो गया। सख्ती से पूछताछ करने पर उसने वारदात करना स्वीकार कर लिया। पुलिस ने उसे और सलीम को गिरफ्तार कर लिया और उनकी निशानदेही पर वारदात में काम ली कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली। उसी दौरान शबनम के गर्भवती होने का भी खुलासा हो गया।
अमरोहा की स्थानीय अदालत ने सुनाई थी फांसी की सजा
पुलिस ने अमरोहा की अदालत में सलीम और शबनम के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी। दो साल की सुनवाई के बाद 2010 में कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुना दी। उन्होंने इलाहबाद हाई कोर्ट में फैसले को चुनौती, लेकिन हाई कोर्ट ने भी फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद शबनम ने सुप्रीम कोर्ट पहुंची, लेकिन 2015 में शीर्ष अदालत ने भी उसकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद 11 अगस्त, 2016 राष्ट्रपति ने भी उनकी दया याचिका ठुकरा दी।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जनवरी में खारिज कर दी थी पुनर्विचार याचिका
राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका ठुकराए जाने के बाद शबनम और सलीम ने सुप्रीम कोर्ट में फिर से पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, लेकिन पिछले साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने उसे भी ठुकरा दिया। इससे उनकी फांसी टलने की संभावना कम हो गई।
मथुरा जेल प्रशासन ने शुरू की फांसी की तैयारी
महिलाओं को फांसी देने की व्यवस्था केवल उत्तर प्रदेश की मथुरा जेल में ही है। ऐसे में शबनम को वहीं फांसी दी जाएगी। इसको लेकर मथुरा जेल प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। मथुरा के वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र मैत्रेय ने बताया, "हमें कोई डेथ वारंट नहीं मिला है, लेकिन तैयारी शुरू कर दी है। पिछले साल फरवरी में पवन जल्लाद ने फांसी घर का निरीक्षण भी किया था। फांसी के लिए बक्सर से रस्सी मंगवाई गई है।"
सहेली कर रही शबनम के बेटे का पालन-पोषण
जेल अधिकारियों ने बताया कि शबनम ने जेल में ही बेटे को जन्म दिया था। जिसे बाद में कॉलेज की उसकी सहेली वंदना ने गोद ले लिया था। वर्तमान में वह और उसका परिवार ही बुलंदशहर में शबनम के बेटे का पालन-पोषण कर रहे हैं।
...तो आजाद भारत में फांसी चढ़ने वाली होगी पहली महिला
जेल अधीक्षक ने बताया कि मथुरा जेल में 150 साल पहले महिला फांसीघर बनाया था, लेकिन आजादी के बाद से किसी भी महिला को फांसी की सजा नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि यदि शबनम को फांसी होती है तो वह आजाद भारत में फांसी चढ़ने वाली पहली महिला होगी। डेथ वारंट मिलने के बाद उसे फांसी दी जाएगी। इधर, शबनम के वकील ने कहा कि उन्हें फिलहाल डेथ वारंट के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई है।
शबनम के पास अभी भी हैं दो विकल्प- चतुर्वेदी
सुप्रीम कोर्ट के वकील सार्थक चतुर्वेदी ने TOI से कहा, "शबनम के सभी कानूनी विकल्प अभी खत्म नहीं हुए हैं। वह अभी भी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती है। इसके अलावा वह अभी क्यूरेटिव पिटिशन भी दायर कर सकती है।" उन्होंने आगे कहा कि किसी को भी तब तक फांसी नहीं दी जा सकती, जब तक कि सभी कानूनी विकल्प खत्म नहीं हो जाते हैं। ऐसे में अभी फांसी दिए जाने में समय लग सकता है।