BRICS में उठा UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता का मुद्दा, क्या बोले विदेश मंत्री जयशंकर?
क्या है खबर?
रूस के कजान में BRICS शिखर सम्मेलन में बोलते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत के लिए स्थायी सीट की मांग की है।
उन्होंने कहा कि अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था बनाने के लिए स्थापित संस्थाओं में सुधार किया जाना चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि BRICS इस बात का संकेत है कि पुरानी व्यवस्था कितनी गहराई से बदल रही है और कई असमानताएं अभी भी बनी हुई हैं।
बयान
क्या बोले विदेश मंत्री?
जयशंकर ने कहा, "अतीत की कई असमानताएं भी जारी हैं। उन्होंने नए रूप और अभिव्यक्तियां ग्रहण की हैं। हम इसे विकासात्मक संसाधनों और आधुनिक तकनीक और दक्षताओं तक पहुंच में देखते हैं। हमें यह भी स्वीकार करना चाहिए कि वैश्वीकरण के लाभ बहुत असमान रहे हैं। इन सबके अलावा, कोविड महामारी और कई संघर्षों ने वैश्विक दक्षिण द्वारा वहन किए जाने वाले बोझ को और बढ़ा दिया है। स्वास्थ्य, खाद्य और ईंधन सुरक्षा की चिंताएं विशेष रूप से तीव्र हैं।"
UNSC
जयशंकर ने कहा- UNSC में हो सुधार
विदेश मंत्री ने कहा, "हम अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था कैसे बना सकते हैं? पहला- स्वतंत्र प्रकृति के मंचों को मजबूत और विस्तारित करके और विभिन्न क्षेत्रों में विकल्पों को व्यापक बनाकर। यह वास्तव में वह जगह है, जहां BRICS वैश्विक दक्षिण के लिए एक अंतर ला सकता है। दूसरा- स्थायी और अस्थायी श्रेणियों में स्थापित संस्थाओं और तंत्रों विशेष रूप से UNSC में सुधार करके। इसी तरह बहुपक्षीय विकास बैंकों में भी सुधार किया जाना चाहिए।"
मांग
कई देश करते हैं भारत की मांग का समर्थन
UNSC के 5 स्थायी सदस्यों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन और फ्रांस शामिल हैं। लंबे समय से भारत को भी स्थायी सदस्य बनाने की मांग उठती रही है।
अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस अलग-अलग समय पर कई बार भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर चुके हैं, लेकिन चीन ने अभी तक ऐसा नहीं किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन कह चुके हैं कि अमेरिका भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करेगा।
UNSC
क्या है UNSC?
UNSC संयुक्त राष्ट्र (UN) की 6 प्रमुख संस्थाओं में से एक है। द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद 1945 में इसका गठन हुआ था।
इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखना है। यह वैश्विक स्तर के तमाम मुद्दों और विवादों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है और कोशिश करती है कि फिर से विश्व युद्ध या बड़े संघर्ष जैसी परिस्थितियां पैदा न हों।
परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं, जिनमें 5 स्थायी और 10 अल्पकालिक हैं।