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RSS प्रमुख मोहन भागवत ने किया LGBTQ समुदाय का समर्थन, कहा- उनकी निजता का सम्मान जरूरी
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने LGBTQ समुदाय का समर्थन किया है

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने किया LGBTQ समुदाय का समर्थन, कहा- उनकी निजता का सम्मान जरूरी

Jan 11, 2023
05:36 pm

क्या है खबर?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने LGBTQ समुदाय के समर्थन में बोलते हुए कहा कि इस समुदाय के लोग भी इंसान हैं और उन्हें भी दूसरे लोगों की तरह जीने का अधिकार है। उन्होंने आगे कहा कि LGBTQ समुदाय की निजता का सम्मान किया जाना चाहिए और संघ इस विचार को प्रोत्साहित करेगा। भागवत ने आगे कहा कि पूरी तरह से बायोलॉजिकल है और जीवन जीने का एक तरीका है।

साक्षात्कार

ट्रांसजेंडर को लेकर संघ का कोई दृष्टिकोण नहीं है- भागवत

भागवत ने RSS के मुखपत्र ऑर्गनाइजर को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि हिंदू समाज ट्रांसजेंडर लोगों को एक मुद्दे के रूप में नहीं देखता है। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर लोगों का अपना पंथ है, अपने देवी-देवता और महामंडलेश्वर भी हैं। भागवत ने कहा कि संघ का कोई अलग दृष्टिकोण नहीं है और हिंदू परंपरा ने इन सभी बातों पर विचार किया है। उन्होंने कहा कि LGBTQ समुदाय का अपना सामाजिक और निजी स्थान होना चाहिए।

समर्थन

संघ प्रमुख ने LGBTQ समुदाय को लेकर और क्या कहा?

संघ प्रमुख भागवत ने कहा, "जब से इंसान अस्तित्व में है, तब से इस तरह के झुकाव वाले लोग हमेशा से रहे हैं। हम चाहते हैं कि उनके पास अपना निजी स्थान हो और महसूस करें कि वे भी समाज का एक हिस्सा हैं।" उन्होंने कहा कि यह बहुत ही सामान्य मुद्दा है और इस नजरिए को आगे बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि इसे सुलझाने के और सभी तरीके व्यर्थ होंगे।

विचार

कब बदले LGBTQ को लेकर संघ के विचार?

अगर देखा जाए तो LGBTQ समुदाय को लेकर RSS के रुख में मार्च, 2016 के बाद से बदलाव आया है। तब संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने LGBTQ समुदाय को लेकर पहली बार बयान देते हुए कहा था कि समलैंगिकता कोई अपराध नहीं है। उन्होंने कहा था कि समलैंगिक संबंधों से अगर अन्य लोगों का जीवन प्रभावित नहीं होता है तो समलैंगिकता के लिए सजा नहीं दी जानी चाहिए।

कानून

समलैंगिक संबंधों पर क्या कहता है कानून?

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत कुछ वर्ष पहले तक देश में समलैंगिक संबंध अपराध की श्रेणी में आते थे, लेकिन 6 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए समलैंगिकता को अपराध करार देने वाले धारा 377 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने अपने फैसले में समलैंगिक विवाह का कोई जिक्र नहीं किया था, जिसके कारण अभी तक इनकी स्थिति अधर में लटकी हुई है।

सुनवाई

समलैंगिक विवाह से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में विभिन्न हाई कोर्ट्स में लंबित समलैंगिक विवाह से संबंधित सभी याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर कर केंद्र सरकार से मामले पर 15 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा था। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट और केरल हाई कोर्ट में ही मिलाकर इस संबंध में कुल नौ याचिकाएं लंबित थीं। मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने बताया था कि इन सभी याचिकाओं पर मार्च में सुनवाई शुरू होगी।