
राकेश टिकैत की चेतावनी- सरकार ने कानून वापस नहीं लिए तो संसद का घेराव करेंगे किसान
क्या है खबर?
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के किसान नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया तो किसान 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ संसद का घेराव करेंगे।
किसानों से तैयार रहने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली मार्च का आह्वान कभी भी किया जा सकता है और इसकी तारीख संयुक्त किसान मोर्चा तय करेगा।
टिकैत ने कंपनियों के गोदामों को ध्वस्त करने की चेतावनी भी दी।
बयान
क्या बोले टिकैत?
राजस्थान के सीकर में संयुक्त किसान मोर्चा की किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, "कान खोल कर सुन ले दिल्ली, ये किसान भी वही हैं और ट्रैक्टर भी वही होंगे। अबकी बार आह्वान संसद का होगा, कहकर जाएंगे संसद पर। इस बार चार लाख नहीं 40 लाख ट्रैक्टर आएंगे... संसद को घेरने की तारीख संयुक्त मोर्चा तय करेगा।"
उन्होंने कहा कि किसान इंडिया गेट के पास के पार्कों में जुताई करेगा और फसल भी उगाएगा।
आरोप
26 जनवरी को हुई किसानों को बदनाम करने की साजिश- टिकैत
टिकैत ने 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी की घटना के मामले में देश के किसानों को बदनाम करने की साजिश की गई।
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि देश के किसानों को तो तिरंगे से प्यार है, लेकिन इस देश के नेताओं को तिरंगे से प्यार नहीं है।
चेतावनी
टिकैत की चेतावनी- कंपनियों के गोदाम ध्वस्त करेंगे किसान
टिकैत ने अपने भाषण में सरकार को बड़ी-बड़ी कंपनियों के गोदाम ध्वस्त करने की खुली चुनौती भी दी।
उन्होंने कहा, "सरकार को किसानों की तरफ से खुली चुनौती है कि अगर सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए और MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) लागू नहीं की तो बड़ी-बड़ी कंपनियों के गोदाम को ध्वस्त करने का काम भी देश का किसान करेगा।"
उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा जल्द ही इसकी तारीख भी बताएगा।
नई रणनीति
नई रणनीति के तहत देशभर में हो रहीं किसान महापंचायतें
गौरतलब है कि कई दौर की बातचीत असफल रहने के बाद सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए किसान संगठनों ने अपनी रणनीति में भी बदलाव किया है।
नई रणनीति के तहत आंदोलन का देश के अंदरूनी इलाकों में विस्तार किया जाएगा और इसलिए किसान दिल्ली बॉर्डर से गांवों की तरफ वापस जा रहे हैं।
देश के विभिन्न हिस्सों में किसान पंचायतों का आयोजन भी किया जा रहा है और इन पंचायतों में हजारों की संख्या में लोग जुट रहे हैं।
मुद्दा
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।