आंध्र प्रदेश में लोकप्रिय हुआ गधों का मांस, तेजी से किया जा रहा कत्ल
क्या है खबर?
गधों का उपयोग अमूमन बोझा ढोने के लिए किया जाता है और इनका कोई विशेष उपयोग नहीं होने से लोग इन्हें पालते भी नहीं है।
इसी बीच आंध्र प्रदेश के कुछ जिलों में गधे का मांस लोकप्रिय हो गया है। ऐसे में यहां गधों को बड़ी तेजी से मारा जा रहा है।
चौंकाने वाली बात यह है कि गधों को 'खाद्य जानवर' के रूप में पजीकृत नहीं किया गया है। ऐसे में अब दोषियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई।
कारण
ताकत और पौरुष शक्ति बढ़ाने के लिए खाया जा रहा गधे का मांस
TOI के अनुसार आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी, कृष्णा, प्रकाशम और गुंटूर जिलों में गधों के मांस की मांग बढ़ी है। गधों का मांस पसंद करने वालों का तर्क है कि इसके सेवन से ताकत और पौरुष शक्ति में बेतहाशा बढ़ोतरी होती है।
यही कारण है कि जिलों में तेजी से तेजी से गधों का कत्ल किया जा रहा है। लोग अवैध रूस से गधों का कत्ल कर काफी महंगे दामों में उनकी बिक्री भी कर रहे हैं।
अवैध
खाने के लिए गधे का कत्ल करना है अवैध- सुरबाथुला
मवेशियों के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था (NGO) एनिमल रेस्क्यू संगठन के सचिव गोपाल आर सुरबाथुला ने बताया कि गधों को 'खाद्य जानवर' के रूप में पजीकृत नहीं किया गया है।
ऐसे में इनका कत्ल करना पूरी तरह से अवैध है और ऐसा करने वालों के खिलाफ पशुओं के प्रति क्रूरता रोकथाम अधिनियम की धारा 11 (1) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 428 और 429 के तहत कार्रवाई की जाती है।
जानकारी
गधे के मांस की की जा रही है अवैध बिक्री
आंध्र प्रदेश में गधे के मांस की मांग बढ़ने से अवैध कारोबार भी पनपने लगा है। एक गिरोह गधों की खरीद का प्रबंधन करता है तो दूसरा गधे के मांस की खरीददारी के लिए उपभोक्ताओं का नेटवर्क बनाने और बिक्री के लिए संयोजन बनाता है।
गिरावट
आंध्र प्रदेश में गधों की संख्या में आई भारी गिरावट
प्रदेश में गधों के मांस की मांग बढ़ने से इनकी संख्या में भी खासी गिरावट आई है। साल 2012 में आंध्र प्रदेश में 10,000 से अधिक गधे मौजूद थे, लेकिन साल 2019 में इनकी संख्या गिरकर 5,000 से नीचे आ गई है।
ऐसे में मांग को पूरा करने के लिए अब राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक से गधों की तस्करी की जा रही है। ऐसे में सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
सुबूत
NGO ने एकत्र किए गधों के कत्ल के सुबूत
सुरबाथुला ने बताया उन्होंने हाल ही राज्य में गधों का कत्ल किए जाने वाले स्थानों का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान वहां की वीडियो और फोटो भी ली गई थी।
उन्होंने सोमवार को पश्चिम गोदावरी जिला प्रशासन से वेनवल्लीवारपेट्टा के पांडुरंगा रोड पर गधों का कत्ल किए जाने की शिकायत दर्ज कराई थी।
उन्होंने कहा कि सरकार को गधों की रक्षा करनी चाहिए और कम होती गधों की संख्या को बचाने के लिए दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
कीमत
जिंदा गधों की है अधिक कीमत
सुरबाथुला ने बताया कि गधों के मांस और दूध की तुलना में जीवित गधों की कीमत अधिक होती है। बोझा ढोने में बेहद कारगर होने के कारण वर्तमान में देश में एक जिंदा गधे की कीमत 10,000 से 15,000 रुपये की बीच है।
ऐसे में सरकार को गधों का कत्ल करने वालों पर कार्रवाई करने के साथ गधों की सुरक्षा के लिए अगल स्थान निर्धारित करना चाहिए। इससे गधों का कत्ल रूकेगा और लोग इसका सदुपयोग कर सकेंगे।
बयान
दोषियों के खिलाफ की जाएगी सख्त कार्रवाई- बाबू
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक जी नेहरू बाबू ने कहा कि गधों का कत्ल अवैध है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गलतफहमी के कारण लोग गधे का मांस खाते हैं। गुंटूर पुलिस अधीक्षक आरएन अम्मी रेड्डी ने भी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।