सिंघु बॉर्डर से किसानों ने पकड़ा संदिग्ध, किसान नेताओं को मारने की साजिश का दावा
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर किसान संगठनों ने नेताओं ने आरोप लगाया है कि उनमें से चार को मारने और 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड में खलल डालने की साजिश रची जा रही है। शुक्रवार शाम को किसान नेताओं ने एक व्यक्ति को मीडिया के सामने पेश किया। उस व्यक्ति ने दावा किया कि उसे और उसके साथियों को पुलिस के भेष में रहकर ट्रैक्टर परेड के दौरान किसानों पर लाठीचार्ज करने को कहा गया था।
पुलिस को सौंपा गया संदिग्ध
किसान नेताओं ने दावा किया कि उन्होंने इस व्यक्ति को सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल से पकड़ा है, जिसे बाद में पुलिस को सौंप दिया गया। किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि आंदोलन में खलल डालने की कोशिशें की जा रही हैं।
माहौल खराब करने की थी योजना- संदिग्ध
मीडिया के सामने चेहरा ढककर लाए गए संदिग्ध ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसानों के पास हथियारों का पता लगाने के लिए दो टीम लगाई गई हैं। उसने आगे बताया कि उसकी योजना 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान गोली चलाकर माहौल खराब करने की थी। उसने बताया कि 23 से 26 जनवरी के बीच मंच पर रहने वाले चार किसान नेताओं को गोली मारी जानी थी और उसके साथ लगाई गई महिलाओं का काम लोगों को भड़काना था।
किसान नेताओं को गोली मारने को कहा गया था- संदिग्ध
संदिग्ध ने कहा कि उसे मंच पर रहने वाले चार किसान नेताओं को गोली मारने को कहा गया था। इसके लिए उसे उनकी फोटो दी गई थी। उसने यह भी दावा किया कि जिसने ये सब जिसने सिखाया वो राई थाने का SHO प्रदीप है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि संदिग्ध का नाम योगेश है और वह हरियाणा के सोनीपत का रहने वाला है। पुलिस के मुताबिक, अभी तक उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।
यहां देखिये संदिग्ध का वीडियो
संदिग्ध ने किसानों पर लगाए मारपीट के आरोप
एक वीडियो में संदिग्ध आरोप लगा रहा है कि किसानों ने उसके साथ मारपीट की थी। उसका कहना है कि किसानों ने उसे धमकाया था कि अगर वह उनके कहे अनुसार मीडिया में बयान नहीं देगा तो उसे मार दिया जाएगा।
26 जनवरी को प्रस्तावित है किसानों की ट्रैक्टर परेड
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने 26 जनवरी को दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड निकालने का ऐलान किया है। किसानों का दावा है कि इस परेड में हजारों ट्रैक्टर हिस्सा लेंगे और यह ऐतिहासिक रैली होगी। सरकार ने इस परेड को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था, लेकिन कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। फिलहाल परेड का रूट निर्धारित नहीं हुआ है।
अभी तक नहीं निकला गतिरोध का हल
सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध का 11 दौर की बैठक के बाद भी हल नहीं निकल सका है। शु्क्रवार को हुई बैठक में केंद्र ने किसान संगठनों से कानूनों के अमल पर रोक लगाने के उसके प्रस्ताव पर फिर से विचार करने को कहा। सरकार का कहना है कि वह कानूनों पर दो साल के लिए रोक लगाने को तैयार है और अगले दौर की वार्ता तभी हो सकती है जब किसान इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लें।
कानून वापसी की मांग पर अड़े किसान
इससे पहले बुधवार को हुई 10वें दौर की बैठक में किसान संगठनों से कहा था कि वह कृषि कानूनों के अमल पर 12 से 18 महीने तक रोक लगाने को तैयार है और किसान अपना आंदोलन खत्म कर दें। गुरूवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक कर सरकार के इस प्रस्ताव पर चर्चा की और सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। किसानों का कहना है कि उन्हें प्रस्ताव मंजूर नहीं है और सरकार को कानून वापस लेने होंगे।