कृषि कानून: सरकार दो साल तक रोक लगाने को तैयार, स्वीकार करने पर ही आगे बातचीत
क्या है खबर?
कृषि कानूनों पर आज 11वें दौर की बैठक में केंद्र सरकार ने किसान संगठनों से कानूनों के अमल पर रोक लगाने के उसके प्रस्ताव पर फिर से विचार करने को कहा।
सरकार ने कहा है कि वह कानूनों पर दो साल के लिए रोक लगाने को तैयार है और अगले दौर की वार्ता तभी हो सकती है जब किसान इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लें।
इसी कारण अगली बैठक की कोई तारीख नहीं की गई है।
बयान
किसानों का आरोप- मंत्री ने कराया घंटों इंतजार
बैठक के बाद किसानों ने आरोप लगाया कि बैठक भले ही पांच घंटे चली हो, लेकिन बातचीत केवल 30 मिनट के लिए हुई।
किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता एसएस पंढेर ने कहा, "मंत्री (नरेंद्र तोमर) ने हमें साढ़े तीन घंटे इंतजार कराया। यह किसानों का अपमान है। जब वह आए तो उन्होंने हमसे सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने को कहा और कहा कि वह बैठकों की प्रक्रिया खत्म कर रहे हैं... आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा।"
बयान
कानूनों में कोई दिक्कत नहीं- कृषि मंत्री
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बैठक के अंत में कृषि मंत्री तोमर ने आंदोलनकारी किसान संगठनों का उनके सहयोग के लिए शुक्रिया अदा किया और कहा कि अगर वे कानूनों को निलंबित करने के प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहते हैं तो सरकार एक और बैठक करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकार ने फिर भी किसानों के प्रति सम्मान के कारण उन्हें निलंबित करने का प्रस्ताव रखा है।
प्रस्ताव
बुधवार को हुई बैठक में सरकार ने रखा था कानूनों पर रोक लगाने का प्रस्ताव
नौ दौर की बैठक बेनतीजा होने के बाद सरकार ने बुधवार को हुई 10वें दौर की बैठक में किसान संगठनों से कहा था कि वह कृषि कानूनों के अमल पर 12 से 18 महीने तक रोक लगाने को तैयार है और किसान अपना आंदोलन खत्म कर दें।
बैठक में किसानों ने सरकार से कहा कि वे आपस में सरकार के इस प्रस्ताव पर विचार करेंगे और इसके बाद सरकार को अपने फैसले के बारे में बताएंगे।
प्रस्ताव अस्वीकार
संयुक्त किसान मोर्चा ने खारिज किया सरकार का प्रस्ताव
गुरूवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक कर सरकार के इस प्रस्ताव पर चर्चा और इस बैठक में बहुमत से इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करने का फैसला लिया गया।
बैठक के बाद किसान संगठनों ने कहा कि वे तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने की अपनी मांग पर अडिग हैं और इससे कम कुछ भी मंजूर नहीं किया जाएगा।
ट्रैक्टर
26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने वाले हैं किसान
बता दें कि दिल्ली के बॉर्डर पर डेरा जमाए हुए किसानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान भी किया है। ये रैली दिल्ली को घेरने वाले आउटर रिंग रोड पर निकाली जानी है और इसमें 1,000 ट्रैक्टर हिस्सा लेंगे। इन ट्रैक्टरों पर तिरंगे झंडे लगाए जाएंगे।
सरकार इस रैली को लेकर भी चिंतित है और इसलिए चाहती है कि गणतंत्र दिवस से पहले इस गतिरोध का समाधान हो जाए।
पृष्ठभूमि
क्यों आमने-सामने हैं सरकार और किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।