पुणे पोर्शे हादसा: आरोपी को बचाने के लिए परिवार ने किस-किस की और कैसे मदद ली?
क्या है खबर?
महाराष्ट्र के पुणे पोर्शे कार हादसा मामले में आरोपी की मेडिकल रिपोर्ट बदलने को लेकर हुई दो चिकित्सकों की गिरफ्तारी के बाद अब राजनीतिक हस्तक्षेप की बात सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी के परिवार वालों ने पूरे मामले को दबाने के लिए अपनी प्रतिष्ठा और पहुंच का जमकर इस्तेमाल किया है।
हालांकि, वह अभी तक इसमें पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए हैं।
ऐसे में आइए जानते हैं कि परिवार ने किस-किस की और कैसे मदद ली।
पृष्ठभूमि
क्या है पूरा मामला?
19 मई को पुणे के कल्याणी नगर में रात 2:30 बजे पोर्शे कार चला रहे नाबालिग ने बाइक सवार अश्विनी कोष्ठा और अनीश अवधिया को टक्कर मार दी थी। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी।
घटना के 15 घंटे के बाद किशोर न्याय बोर्ड (JJB) ने मामूली शर्तों के आधार पर आरोपी किशोर जमानत दे दी थी।
मामले में अब तक आरोपी के पिता, दादा और दो चिकित्सकों सहित 5 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
परिवार
कैसी है आरोपी के परिवार की पृष्ठभूमि?
आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल पुणे में एक प्रसिद्ध रियाल्टार (जमीनों की खरीद-फरोख्त) हैं, जिनकी पूरे महाराष्ट्र में सभी बड़े अधिकारियों सहित राजनीतिक पहुंच है।
इसी तरह यह भी सामने आया है कि आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने एक पुराने गोलीबारी के मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन से भी लेनदेन किया था।
पुणे के एक अन्य बिल्डर ने आरोपी के परिवार के पास बेहिसाब दौलत और पावर होने की भी बात कही है।
प्रयास
घटना के बाद मेडिकल रिपोर्ट बदलने के लिए चिकित्सकों को प्रलोभन
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, हादसे के बाद ससून अस्पताल में आरोपी किशोर के मेडकिल के लिए नमूना लिया जा रहा था।
उसी दौरान आरोपी के पिता ने फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ अजय तवारे को फोन कर रिपोर्ट बदलने की एवज में 3 लाख रुपये देने का वादा किया।
इसके बाद तवारे के निर्देश पर CMO डॉ श्रीहरि हलनोर ने लिया गया नमूना कचरे में फेंक दिया और फिर किसी अन्य का सैंपल लेकर रिपोर्ट तैयार कर दी।
दबाव
चालक पर बनाया झूठा बयान देने का आरोप
पुणे पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार के अनुसार, आरोपी किशोर के परिजनों ने अपने कार चालक पर झूठा बयान (खुद कार चलाने) देने का दबाव बनाने के साथ प्रलोभन भी दिया था।
इस पर उसने पहली पूछताछ में वही बयान दे दिया। इसके बाद आरोपी के दादा ने चालक को पुलिस के सामने आने से रोकने के लिए बंधक बना लिया।
पुलिस ने जब घर के CCTV देखे तो उसमे आरोपी के खुद कार चलाकर ले जाने की पुष्टि हो गई।
हस्तक्षेप
परिवार ने किया राजनीतिक मदद लेने का प्रयास
रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी के परिवार ने मामले को दबाने के लिए राजनीतिक पहुंच का भी इस्तेमाल किया है।
आरोप है कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, उनके गुट के एक विधायक और एक राज्य मंत्री ने मामले को दबाने के लिए पुलिस पर दबाव बनाया था।
सूत्रों की मानें तो उपमुख्यमंत्री पवार ने खुद पुणे पुलिस आयुक्त को आरोपी के प्रति नरम रुख रखने के लिए फोन किया था। हालांकि, पवार ने इस आरोप का खंडन कर दिया।
सफाई
उपमुख्यमंत्री पवार ने क्या दी सफाई?
इस आरोप पर जब उपमुख्यमंत्री पवार बात की तो उन्होंने पुलिस पर किसी भी प्रकार का दबाव डालने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा, "अगर ऐसी कोई घटना होती है और यदि आप संरक्षक मंत्री हैं तो आप पुलिस आयुक्त को फोन करेंगे। मैंने उनसे (पुणे पुलिस कमिश्नर) कहा कि किसी भी दबाव में न आएं क्योंकि इसमें एक अमीर व्यक्ति का परिवार शामिल था। पुलिस पर विभिन्न प्रकार के दबाव की संभावना थी।"