चुनावों से ठीक पहले 21 चीनी मिलों के लिए सरकारी गारंटर बनी महाराष्ट्र सरकार
लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले महाराष्ट्र सरकार ने 21 सहकारी चीनी मिलों को ऋण देने के लिए गारंटर बनने पर सहमति जताई थी। सरकार ने सहकारी विकास निगम (NCDC) के समक्ष इन मिलों को ऋण देने की सिफारिश की थी। इन 21 में से 15 मिल ऐसी हैं, जिनका प्रबंधन सत्ताधारी पार्टी या गठबंधन से जुड़े नेताओं द्वारा किया जाता है। अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने इसका खुलासा किया है
सत्ताधारी गठबंधन से जुड़ी 15
रिपोर्ट के मुताबिक, 2 मिलों का प्रबंधन उन नेताओं द्वारा किया जाता है, जो शिवसेना के विभाजन के समय एकनाथ शिंदे के साथ थे। 5 मिलों का प्रबंधन उन नेताओं द्वारा किया जाता है, जो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में टूट के समय अजित पवार के साथ थे। एक मिल का प्रबंधन कांग्रेस से भाजपा में आने वाले नेता के पास है। एक मिल का प्रबंधन NCP से भारत राष्ट्र समिति (BRS) में शामिल हुए एक विधायक के पास है।
विपक्षी नेताओं से जुड़ी 6 मिलों की गारंटर बनी सरकार
कम से कम 6 मिले ऐसी हैं, जिनका प्रबंधन सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं द्वारा नहीं किया जाता है। इनमें से 2 NCP (शरद पवार) से, 2 निर्दलीय नेताओं से, एक कांग्रेस और एक किसी भी पार्टी से नहीं जुड़े दूसरे कार्यकर्ता से संबंधित है। बता दें कि महाराष्ट्र में सहकारी चीनी मिलों का राजनीति से गहरा संबंध हैं। मिलों के मालिक और इनसे जुड़े लोग राज्य की राजनीति में खासा प्रभाव रखते हैं।
किन मिलों के लिए गारंटर बनी सरकार?
राज्य ने जिन मिलों को ऋण देने की सिफारिश की है, उनमें कोल्हापुर स्थित तात्यासाहेब कोरे सहकारी चीनी मिल, बीड स्थित लोकनेते सुंदरराव सोलंके सहकारी चीनी मिल, छत्रपति संभाजीनगर में श्री रेणुका शरद सहकारी चीनी मिल, सतारा स्थित किसानवीर सहकारी चीनी मिल, धाराशिव स्थित श्री विट्ठलसाई सहकारी सखार कारखाना, पुणे स्थित रावसाहेबदादा पवार घोडगंगा लिमिटेड, सहकार महर्षि शिवाजीराव नागवाडे मिल, पुणे की रायगढ़ सहकारी चीनी मिल, सोलापुर की श्री सिद्धेश्वर मिल, विश्वासराव नाइक मिल और मुला मिल शामिल हैं।
नेताओं ने राजनीतिक हस्तक्षेप से किया इनकार
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए श्री विट्ठलसाई सहकारी सखार कारखाना के बसवराज पाटिल ने कहा, "राज्य में सहकारी संरचना के महत्व को देखते हुए राज्य ने यह निर्णय लिया है। यह ग्रामीण औद्योगीकरण का एकमात्र तरीका है। 21 मिलों की सूची में विपक्षी नेताओं द्वारा संचालित मिलें भी शामिल हैं।" रायगढ़ सहकारी चीनी मिल के संग्राम थोपटे ने कहा, "मेरा आवेदन वैध पाया गया, इसलिए राज्य गारंटर बनने पर सहमत हुआ। इसमें कोई राजनीतिक पूर्वाग्रह नहीं है।"
सितंबर, 2023 में केवल 5 मिलों को मिली थी सरकारी गारंटी
पिछले साल सितंबर में 34 में से केवल 5 मिलों को ऋण के लिए सरकारी गारंटी मिली थी। इनमें कांग्रेस से भाजपा में आने वाले अशोक चव्हाण की भाऊराव चव्हाण मिल भी शामिल थी, जिसे 147.79 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी मिली थी। इसके अलावा कांग्रेस से भाजपा में आए धनजीराव साठे की संत कुर्मादास मिल, NCP (अजित) के नेता कल्याण काले की सहकार महर्षि वसंतराव काले मिल और अजित के करीबी प्रशांत काटे की श्री छत्रपति मिल शामिल थी।