कोयले की कमी और तकनीकी खामियों के चलते बढ़े पावर कट, लोगों के छूटे पसीने

लगातार चढ़ते पारे और गर्म हवा के बीच बिजली कटौती ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। मार्च के आखिरी हफ्ते से ही उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से अधिक तापमान दर्ज किया जा रहा है और इसके चलते बिजली की मांग बढ़ी है। दूसरी तरफ कोयले के कमी और तकनीकी खामियों के कारण राज्य सरकारों को बढ़ी हुई बिजली की मांग को पूरा करने में पसीने छूट रहे हैं। आइये, कुछ राज्यों के हालात पर नजर डालते हैं।
हरियाणा इन दिनों 3,000 मेगावॉट (MW) की कमी से जूझ रहा है। राज्य के ऊर्जा मंत्री रणजीत सिंह ने कहा कि लू के थपेड़ों और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के कारण मांग में इजाफा देखने को मिल रहा है। मांग और आपूर्ति में अंतर पाटने के लिए राज्य सरकार मुंद्रा पावर प्लांट से बिजली आपूर्ति को बहाल कराने के लिए अदानी पावर लिमिटेड से बात कर रही है। इसी हफ्ते राज्य को अदानी पावर से 1,400 MW बिजली मिलने की उम्मीद है।
पंजाब में बिजली संकट के पीछे तकनीकी खामियां और कोयले की कमी को कारण बताया जा रहा है। बुधवार को राज्य में बिजली की मांग, 7,800 MW पहुंच गई, जो उपलब्धता से लगभग 800 MW अधिक थी। इसके चलते कई जगह बिजली कटौती की गई। राज्य के थर्मल प्लांट की क्षमता 5,480 MW बिजली उत्पादन की है, लेकिन कोयले की कमी के चलते यहां केवल 3,700 MW बिजली पैदा हो रही है।
ओडिशा में भी इन दिनों मांग और आपूर्ति के बीच 400 MW का अंतर चल रहा है। अधिकारियों के कहना है कि तकनीकी खामी के चलते एक उत्पादन यूनिट बंद हो गई है, जिस कारण यह अस्थायी कमी देखने को मिल रही है।
राजस्थान मे पिछले साल अप्रैल में रोजाना 2,131 लाख यूनिट की मांग थी, जो इस साल बढ़कर 2,800 यूनिट रोजाना हो गई है। इसी तरह पीक आवर्स के दौरान बिजली की मांग में करीब 2,000 MW की बढ़ोतरी हुई है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि कोयले की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित हो रहा है। राज्य के प्लांट 10,110 MW बिजली का उत्पादन कर सकते हैं, लेकिन अभी यहां 6,600 MW का उत्पादन हो रहा है।
केंद्र शासित प्रदेश के कई हिस्सों में 16 घंटे तक बत्ती गुल रह रही है। यहां 3,000 MW बिजली की मांग है, लेकिन करीब इसकी आधी की ही आपूर्ति हो पा रही है। जम्मू-कश्मीर के बिजली संयंत्रों में भी उत्पादन काफी कम रह गया है।
झारखंड में अप्रैल से पहले 1,850 MW की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन अब मांग 2,500-2,600 MW तक पहुंच गई है। इस कमी को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने दामोदर वैली कॉर्पोरेशन से 200 MW अतिरिक्त बिजली आपूर्ति की मांग की है। फिलहाल यहां से 550 MW की आपूर्ति हो रही है। राज्य सरकार ने पावर एक्सचेंज से भी बिजली लेने की कोशिश की, लेकिन यहां कामयाबी नहीं मिली। अब सरकार निजी कंपनियों से बातचीत कर रही है।